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असम : एसटी का दर्जा मांगने वाले समुदायों पर सरकार ने खेला दांव, बढ़ाई मेडिकल की सीटें

असम में जातिगत समूह हर वर्ष सरकार से उन्हें एसटी दर्जे की मांग करती हैं। अभी तक किसी भी सरकार ने इन समूहों के प्रति इस मांग को लेकर सहानुभूति नहीं दिखाई है।

असम में जातिगत समूह हर वर्ष सरकार से उन्हें एसटी दर्जे की मांग करती हैं। अभी तक किसी भी सरकार ने इन समूहों के प्रति इस मांग को लेकर सहानुभूति नहीं दिखाई है। लेकिन हेमंता सरकार ने एसटी का दर्जा मांगने वाली छह जातियों के लिए मेडिकल क्षेत्र में सीटें बढ़ा दी हैं।  असम सरकार के इस दांव से इन सभी जातियों का भरोसा बढ़ेगा।  जो आने वाले समय में चुनाव के लिए काफी मददगार साबित होगा।    
एसटी का दर्जा का मांगने वाली जातियों को आरक्षित की दो -दो सीटें 
असम के पर्यटन मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद शुक्रवार देर रात मीडिया को बताया कि ये छह समुदाय-चाय बागान आदिवासी, कूच राजबंशी, ताई अहोम, मटक, मोरान और चुटिया फिलहाल अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में आते हैं और इनमें से प्रत्येक समुदाय के लिए एमएमबीएस पाठ्यक्रम में दो-दो आरक्षित सीटें बढ़ा दी गई हैं।
किस जाति को कितनी मिलेगी सीटें
बरुआ ने बताया कि अब चाय बागान आदिवासियों को 26 आरक्षित सीटें मिलेंगी, जबकि कूच राजबंशी के लिए ऐसी सीटों की संख्या 10, ताई अहोम के लिए सात, चुटिया के लिए छह और मटक व मोरान के लिए पांच-पांच होगी। उन्होंने बतया कि डेंटल सर्जरी में स्नातक की तीन सीटें पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित होंगी।
हेमंता मंत्रिमंडल ने बढ़ाई चिकित्सा पाठ्यक्रम के छात्रों सीमा उम्र
बरुआ के मुताबिक, मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में चिकित्सा के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए तय अधिकतम उम्र सीमा भी बढ़ाने का फैसला किया गया है। उन्होंने बताया कि अब सामान्य वर्ग के छात्र 38 के बजाय 40 साल तक की उम्र तक इस पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकेंगे, जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के लिए दाखिले की अधिकतम उम्र सीमा 41 से बढ़ाकर 43 साल और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए 43 से बढ़ाकर 45 वर्ष करने का फैसला लिया गया है।
 

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