उच्चतम न्यायालय ने असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी तैयार करने की कवायद से संबंधित चुनिन्दा मुद्दे उठाने की अनुमति के लिये तीस्ता सीतलवाड के मुंबई स्थित गैर सरकारी संगठन के आवेदन पर विचार करने से इंकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन की पीठ ने कहा कि गैर सरकारी संगठन सिटीजन फार जस्टिस एंड पीस इस मामले में सिर्फ एक पक्षकार बनना चाहता है और उसने किसी अन्य निर्देश का अनुरोध नहीं किया है। ऐसी स्थिति में कोई निर्देश कैसे दिया जा सकता है।
पीठ में गैर सरकारी संगठन के वकील सी यू सिंह ने जब अपना पक्ष रखने का प्रयास किया तो पीठ ने कहा,‘‘गैर सरकारी संगठन ने पक्षकार बनने के लिये आवेदन किया है। आपने कोई निर्देश देने का अनुरोध नहीं किया है। हमें आपको क्यों सुनना चाहिए?
पीठ ने कहा, ‘‘हम क्या कर सकते हैं? क्या हम आपको बुलाकर आदेश दे सकते हैं। आपने किसी निर्देश के लिये आवेदन दाखिल नहीं किया है। आपका अनुरोध सिर्फ पक्षकार बनने के लिये है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हमने रजिस्ट्री से पता किया है। कोई राहत नहीं मांगी गयी है। हम कोई राहत कैसे दे सकते हैं?’’ सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने गैर सरकारी संगठन के कथन पर आपत्ति करते हुये कहा कि मुंबई स्थित गैर सरकारी संगठन असम के मामले में कैसे हस्तक्षेप कर सकता है। तीस्ता सीतलवाड और उनके पति जावेद आनंद इस गैर सरकारी संगठन के संस्थापकों में हैं जो मानव अधिकारों की रक्षा के क्षेत्र में काम कर रहा है।