मध्य प्रदेश की राजनीति बीते दिन हुए संग्राम को भाकपा ने लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती बताते हुए कहा है कि विधायकों को तोड़ने की संस्कृति को बढ़ावा दिया जाना लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए शुभ संकेत नहीं है। दरअसल, कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद राज्य की कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गयी, जिसके कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
भाकपा के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अनजान ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि बीजेपी ने दल बदल कानून को धता बताते हुए दूसरे दलों के विधायकों का इस्तीफा करा कर अपने पाले में करने की नई परिपाटी शुरु कर दी है। उन्होंने कहा कि दल बदल कानून के तहत किसी भी दल में टूट को तभी मान्यता दी जा सकती है जबकि उस दल के दो तिहाई विधायक अलग हों।
अनजान ने कहा कि निर्वाचित सरकारों को गिराने के लिए बीजेपी द्वारा अपनाये गये इस तरीके को कारगर बनाने में राज्यपालों का सक्रिय सहयोग भी दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने इस पर अफसोस जताते हुई कहा, ‘‘मणिपुर और गोवा के बाद अब मध्य प्रदेश में भी बीजेपी ने यह हथकंडा अपना कर सत्ता हासिल कर ली है। इससे संसदीय लोकतंत्र कलंकित हुआ l’’