राकांपा नेता जितेंद्र आव्हाड ने 2016 में एमपीएससी द्वारा विभागीय पुलिस उपनिरीक्षक परीक्षा की प्रतीक्षा सूची से 636 उम्मीदवारों को समायोजित करने के प्रस्ताव के लिए महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की और आरोप लगाया कि इसमें 100 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है।
इस साल अप्रैल में जारी सरकारी प्रस्ताव (जीआर) को ‘‘अवैध’’ करार देते हुए आव्हाड ने आरोप लगाया कि सरकार महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) के मामलों में दखल दे रही है।
राज्य विधानमंडल परिसर में संवाददाताओं से बात करते हुए आव्हाड ने कहा कि पुलिस उपनिरीक्षकों के 828 पदों की भर्ती के लिए तीन साल पहले विज्ञापन जारी किए गए थे।
एमपीएससी ने तब 2,000 से ज्यादा उम्मीदवारों की भर्ती की सिफारिश नहीं की थी। इनमें से 636 उम्मीदवारों ने तब महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण का रुख कर मांग की थी कि उनकी नियुक्ति की जाए, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
बाद में इन उम्मीदवारों ने बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया।
आव्हाड ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक विज्ञापन में दिए गए पद से ज्यादा एक भी पद नहीं भरे जा सकते।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने जीआर लाकर कहा कि इन 636 लोगों की भर्ती की जाएगी क्योंकि जन प्रतिनिधियों से पत्र मिले हैं। पदों को भरने की जिम्मेदारी एमपीएससी पर है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार एमपीएससी के मामले में दखल दे रही है। चाहे पद रिक्त हो या भरे हुए आप विज्ञापन से ज्यादा भर्ती नहीं कर सकते…फैसला अवैध और गैरकानूनी है।’’
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता ने आरोप लगाया कि भर्ती प्रक्रिया में ‘‘100 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ।’’