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‘गोडसे भक्त’ बाबूलाल चौरसिया की कांग्रेस वापसी पर पार्टी में मचा घमासान

ग्वालियर नगर निगम के पार्षद बाबूलाल चौरसिया को कांग्रेस में शामिल कर लिया गया है। छह साल पहले कांग्रेस छोड़ चुके चौरसिया बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ की मौजूदगी में दोबारा कांग्रेस में शामिल हुए हैं।

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में कुछ साल पहले हिन्दू महासभा के कार्यालय में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की अर्धप्रतिमा की स्थापना में कथित तौर पर शामिल रहे ग्वालियर नगर निगम के पार्षद बाबूलाल चौरसिया को कांग्रेस में शामिल कर लिया गया है। बता देें कि लगभग छह साल पहले कांग्रेस छोड़ चुके चौरसिया बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ की मौजूदगी में दोबारा कांग्रेस में शामिल हुए हैं। चौरसिया की कांग्रेस में वापसी प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव से पहले हुई है। हालांकि, चौरसिया की पार्टी में वापसी ने कांग्रेस के भीतर हलचल पैदा कर दी है।
कांग्रेस के कुछ नेताओं ने ‘‘गोड़से अनुयायी’’ को पार्टी में लेने पर सवाल उठाया है, जबकि कुछ अन्य नेताओं ने यह कहते हुए इस निर्णय को सही ठहराया कि चौरसिया ने हिंसा की विचारधारा छोड़ दी है और बापू के दिखाये सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने का फैसला किया है। वहीं चौरसिया ने कांग्रेस में अपनी वापसी को ‘‘ घर वापसी’’ करार दिया और दावा किया कि हिन्दू महासभा के नेताओं ने उसे गुमराह किया था और इस कारण उन्होंने गोड़से की प्रतिमा की स्थापना और पूजा की थी। हिन्दू महासभा ने वर्ष 2017 में ग्वालियर में अपने कार्यालय में गोड़से की अर्ध प्रतिमा की स्थापना की थी। हालांकि, इसकी आलोचना होने पर जिला प्रशासन द्वारा बाद में इसे हटा दिया गया था। गोड़से की प्रतिमा की स्थापना करने वाली हिन्दू महासभा समिति में उस समय चौरसिया सदस्य के तौर पर शामिल थे।
चौरसिया को कांग्रेस में शामिल करने का विरोध करते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘ बापू हम शार्मिदा हैं।’’ यादव ने से कहा, ‘‘पार्टी कहां जा रही है? पार्टी को मजबूत करने के नाम पर गोड़से के अनुयायी को शामिल करने की जरुरत क्यों है? हम इस फैसले पर शर्मिदा हैं।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा से गाँधीजी की विचारधारा के लिये लड़ी और अब उन लोगों को शामिल कर रही है जिन्होंने उस विचारधारा को मार डाला और ग्वालियर शहर में नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाया था। उन्होंने सवाल किया, ‘‘ क्या कांग्रेस भाजपा की विवादास्पद एवं भोपाल की लोकसभा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भी पार्टी में शामिल करेगी, जिन्होंने गोड़से को देश भक्त करार दिया था और जिन ठाकुर के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वह उन्हें अपने जीवनकाल में क्षमा नहीं करेगें।’’
यादव ने यह भी ध्यान दिलाया कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ग्वालियर में गोडसे की प्रतिमा की स्थापना के लिये चौरसिया और उनके समर्थकों के खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। इस बीच, कांग्रेस के प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा ने कमलनाथ की ओर से एक बयान जारी किया इसमें उन्होंने चौरसिया को पार्टी में शामिल करने के निर्णय को सही ठहराया और चौरसिया को गोडसे का पुजारी बताये जाने पर भाजपा की आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘‘ चौरसिया ने गोडसे की हिंसा की विचारधारा को छोड़ दिया है और गांधी जी की सत्य और अहिंसा की विचारधारा पर चलने का फैसला किया है। जब वो हिंदू महासभा में थे, भाजपा की विचारधारा से जुड़े थे, तब वो गोड़से की विचारधारा को मानते थे, आज वो कांग्रेस में आ गये तो उन्होंने गांधी जी की विचारधारा को अपना लिया है।’’
कांग्रेस में फिर से शामिल होने के अपने फैसले का बचाव करते हुए चौरसिया ने कहा, ‘‘ हिंदू महासभा ने मुझे स्थानीय निकाय चुनाव (ग्वालियर नगर निगम) के लिये टिकट दिया और मैं वार्ड -44 से पार्षद चुना गया। इससे पहले मैं लगभग 20 साल तक एक कांग्रेसी था और एक दफा पार्षद भी चुना गया था। इसलिये कांग्रेस में शामिल होना मेरे लिये ‘‘घर वापसी ’’ जैसा है।’’ ग्वालियर में गोडसे का मंदिर बनवाने में शामिल होने के मुद्दे पर उन्होंने दावा किया, ‘‘ हिन्दू महासभा के नेताओं ने मुझे गुमराह किया और गोडसे की अर्ध प्रतिमा की स्थापना व पूजा करने के लिये कहा। यह मेरी एक गलती थी। पिछले ढाई साल से मैंने इनके किसी कार्यक्रम में भाग नहीं लिया है।’’

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