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बद्रीनाथ आरती की 150 साल पुरानी पांडुलिपि मिली

बदरीनाथ की आरती की पांडुलिपि रुद्रप्रयाग से मिली है। जिले के सतेराखाल में रहने वाले मंद्र सिंह बर्थवाल को ये पांडुलिपि अपने घर में मिली।

रुद्रप्रयाग : भगवान श्री बदरीनाथ की आरती की पांडुलिपि रुद्रप्रयाग से मिली है। जिले के सतेराखाल में रहने वाले मंद्र सिंह बर्थवाल को ये पांडुलिपि अपने घर में मिली। जिसके बाद से ही ये चर्चा का विषय बनी हुई है। जिसे अब धरोहर के तौर पर संरक्षित करने के लिए इसका डिजिटलाइजेशन भी किया जा सकता है। जियोलॉजी के प्रोफेसर और वर्तमान में उत्तराखंड अन्तरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक एमपीएस बिष्ट ने बताया कि उनके एक छात्र ने उन्हें इस पांडुलिपि के बारे में जानकारी दी। ये पांडुलिपि मंद्र सिंह बर्थवाल के घर में मिली है। जो दिवंगत ठाकुर धन सिंह बर्थवाल के परपोते हैं। बताया जा रहा है कि उन्होंने ही ये भगवान बदरीनाथ की आरती लिखी थी। उन्होंने बताया कि इस विषय की जानकारी पर्यटन सचिव को दे दी गई है। इसे राज्य की धरोहर के रूप में संजोया जा सकता है।

ये होती है पांडुलिपि
पाण्डुलिपि या मातृकाग्रन्थ एक हस्तलिखित ग्रन्थ विशेष है। इसको हस्तप्रति, लिपिग्रन्थ आदि नामों से भी जाना जाता है। पाण्डुलिपि उस दस्तावेज को कहते हैं जो एक व्यक्ति या अनेक व्यक्तियों द्वारा हाथ से लिखी गयी हो।

असमंजस की स्थिति
भगवान बद्रीनाथ की आरती के रचयिता को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है। अब तक यह माना जाता रहा है कि यह आरती एक मुस्लिम भक्त बदरुद्दीन उर्फ नसरुद्दीन निवासी नंद प्रयाग (चमोली) ने लिखी थी। लेकिन अब इस आरती के लेखक को लेकर नया दावा किया गया है।

बद्रीनाथ मामले में केन्द्र से मांगा जवाब

इस दावे के मुताबिक यह आरती विजरवाणा सतेरा स्यूपुरी (वर्तमान रुद्रप्रयाग जिले में) के ठाकुर धन सिंह वर्त्वाल ने 1881 में लिखी थी । यह दावा ठाकुर धन सिंह वर्त्वाल के प्रपौत्र महेन्द्र सिंह वर्त्वाल ने एक पुरानी पांडुलिपि के आधार पर किया है, जिसमें आरती की पंक्तियों को लिखा है।

भगवान बदरी विशाल की आरती
यूं तो भगवान बदरीनाथ की आरती पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदित शोभितम, निकट गंगा बहत निर्मल, बदरीनाथ विशंभरम… को लिखने का श्रेय नंदप्रयाग के रहने वाले बदरुद्दीन को जाता है। इतिहासकारों की मानें तो बदरीनाथ जी की आरती बदरुद्दीन द्वारा संरचित है, जो कि एक मुसलमान थे।

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