जोशमठ : विश्व प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। इस दौरान 5237 से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहे। पूरे विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गढ़वाल स्काउट के बैंडों की मधुर धुनों के बीच बदरी विशाल के कपाट बंद किए गए, साथ ही सेना के बैंड की धुनों से धाम गूंज उठा।
इस मौके पर गढ़वाल स्काउट, ग्रीफ, बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा चौहान टैंट हाउस में भंडारे का आयोजन किया गया। इसके साथ ही आज ही श्री माता मूर्ति मंदिर और भविष्य बदरी मंदिर सुवाई (तपोवन) के कपाट भी बंद हो गये हैं। बता दें इस साल लगभग 1058490 तीर्थयात्रियों ने बदरीनाथ धाम के दर्शन किये।
कपाट बंद होने के अवसर पर योग गुरु बाबा रामदेव भी पहुंचे थे। भगवान बदरी-विशाल की चल विग्रह मूर्तियां आज पांडुकेश्वर पहुंचेंगी। यहां पांडव मंदिर में भगवान बदरी-विशाल और कुबेर भगवान की पूजा 6 महीने तक की जाएगी। कपाट बंद होने से पहले भगवान नारायण के सखा उद्धव जी के विग्रह को भगवान के सानिध्य में गर्भगृह से बाहर लाया गया और मां लक्ष्मी के विग्रह को भगवान के निकट विराजमान किया गया।
कपाट बंद होने से पहले भगवान नारायण को ऊन का लबादा (कंबल) ओढ़ाया गया। इस लबादे पर गाय के घी का लेपन किया जाता है। कपाट खुलने के दिन इस कंबल को ही श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। 21 नवंबर को देवताओं के खजांची कुबेर जी व भगवान के बाल सखा उद्धव जी के विग्रह को रावल के सानिध्य में पांडुकेश्वर पहुंचाया जाएगा।