लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

बल्ला मैच की जीत का प्रतीक होना चाहिए, प्रजातंत्र की हार का नहीं : कमलनाथ

सहनशीलता से वे परिपक्व होते हैं और परिपक्वता जीत की बुनियाद बनती है। अर्थात खेल का मैदान हो या प्रजातंत्र, मूल मंत्र एक ही है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज बिना किसी का नाम लिए युवा जनप्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे बल्ले को मैदान में भारत की जीत का प्रतीक बनाएं, सड़कों पर प्रजातंत्र की हार का नहीं। 
प्रदेश कांग्रेस की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ ने अपने बयान में कहा है कि हिंदुस्तान की दो बड़ खूबियाँ हैं, एक तो यह विश्व का सबसे बड़ प्रजातंत्र है और दूसरा विश्व में सर्वाधिक युवा देश। ऐसे में स्वाभाविक है कि चुने हुए युवा जन प्रतिनिधियों से देश को अपेक्षाएं भी अधिक होंगी। भारतीय प्रजातंत्र का जो छायादार वटवृक्ष आज दिखाई देता है, इसके त्याग और बलिदान का बीज बहुत गहरा बोया गया है। 
उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू कहते थे, ‘संस्कारवान युवा ही देश का भविष्य सँवारेगा।’ आज हमारे चुने हुए युवा जनप्रतिनिधियों को आत्ममंथन-आत्मचिंतन करना चाहिए कि वो किस रास्ते पर भारत के भविष्य को ले जाना चाहते हैं। एक रास्ता प्रजातंत्र की गौरवशाली विरासत की उम्मीदों को पूरा करने वाला है, और दूसरा उन्मादी। उन्होंने ये भी कहा कि उन्मादी व्यवहार सस्ता प्रचार तो दे सकता है, प्रजातंत्र को परिपक्वता नहीं दे सकता। युवा जनप्रतिनिधियों पर दायित्व है सदन में कानून बनाने का, सड़कों पर कानून हाथ में लेने का नहीं। वे अपनी बात दृढ़ता और मुखरता से रखें, मर्यादा को लाँघ कर नहीं। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज समूचे विश्व को भारत के बल्ले की चमक देखने को मिल रही है। क्रिकेट टीम लगातार जीत हासिल कर रही है और पूरी उम्मीद है कि वो विश्व कप में अपना परचम लहराएगी। मगर बल्ले की यह जीत बगैर मेहनत के हासिल नहीं की जा सकती। खिलाड़यों को मर्यादित मेहनत करनी होती है। मर्यादा धैर्य सिखाती है, धैर्य से सहनशीलता आती है, सहनशीलता से वे परिपक्व होते हैं और परिपक्वता जीत की बुनियाद बनती है। अर्थात खेल का मैदान हो या प्रजातंत्र, मूल मंत्र एक ही है। 
उन्होंने कहा कि यह बात वे सीमित और संकुचित दायरे में रह कर नहीं कह रहे, सभी दल के युवा साथियों से ये अनुरोध है। श्री कमलनाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री होने के नाते उनका दायित्व भी है कि वे अपने नौजवान और होनहार साथियों के साथ विमर्श करते रहें। युवा जनप्रतिनिधि साथी, बल्ले को मैदान में भारत की जीत का प्रतीक बनाइए, सड़कों पर प्रजातंत्र की हार का नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

seventeen + seven =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।