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बंगाल में चुनाव से पहले नेताजी की विरासत पर जंग, कांग्रेस ने ‘सबसे ऊंची प्रतिमा’ बनाने का किया वादा

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले, भाजपा और टीएमसी के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विरासत का दावा करने के लिए अब कांग्रेस भी मैदान में कूद गई है। कांग्रेस ने वादा किया है कि वो राज्य में नेताजी की ‘सबसे ऊंची प्रतिमा’ बनाएगी।

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले, भाजपा और टीएमसी के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विरासत का दावा करने के लिए अब कांग्रेस भी मैदान में कूद गई है। कांग्रेस ने वादा किया है कि वो राज्य में नेताजी की ‘सबसे ऊंची प्रतिमा’ बनाएगी।
कांग्रेस के पश्चिम बंगाल मामलों के प्रभारी जितिन प्रसाद ने कहा, भाजपा अब नेताजी के बारे में सोच रही है जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति की तरह पिछले छह वर्षों में नेताजी की प्रतिमा का निर्माण क्यों नहीं हुआ? कांग्रेस अगर सत्ता में आती है तो नेताजी की सबसे ऊंची मूर्ति का निर्माण करेगी। प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी नेताजी पर कांग्रेस का ये बयान भाजपा और टीएमसी के नेताजी को ‘अपना’ कहने के बाद आया है। नेताजी ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए आईएनए का गठन किया था।
इससे पहले, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की कि 23 जनवरी को नेताजी की जयंती को ‘देश नायक दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। इससे कुछ ही घंटे पहले केंद्र सरकार ने नेताजी की जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने का ऐलान किया था। इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की थी कि नेताजी के सम्मान में 23 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाए। 294 सदस्यीय पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव अप्रैल-मई 2021 में होने वाले हैं।
नेताजी बोस 1938 में कांग्रेस का अध्यक्ष चुन गए थे, लेकिन 1939 में फिर से चुनाव जीतने के तुरंत बाद उन्हें अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ कथित मतभेदों के बाद पद से हटा दिया गया था। कांग्रेस से बाहर होने के बाद, वे नवंबर 1941 में जर्मनी चले गए और बर्लिन में ‘फ्री इंडिया सेंटर’ और दैनिक प्रसारण के लिए ‘फ्री इंडिया रेडियो’ की स्थापना की। नेताजी पर भाजपा के भारी पड़ते दिखने के बाद अब कांग्रेस को उनकी विरासत पर दावा करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए नेताजी की विरासत का उपयोग करने की कोशिश कर रही है। हालांकि उन्होंने उनकी नीतियों का पालन नहीं किया। उन्होंने कहा, आजाद हिंद फौज में विभिन्न भारतीय समुदायों के लोग शामिल थे और उन्होंने उनके साथ समान व्यवहार किया। दूसरी ओर, भाजपा विभाजनकारी राजनीति करती है। यह याद रखना उचित है कि कांग्रेस ने पिछले साल नेताजी की जयंती पर नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन शुरू किया था।
तृणमूल कांग्रेस और अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक, जिसे नेताजी ने स्थापित किया था, ने पहले मांग की थी कि इस दिन को ‘देशप्रेम दिवस’ के रूप में मनाया जाए। फॉरवर्ड ब्लॉक ने एक बयान में कहा था, भाजपा नेतृत्व को अभी भी नेताजी के योगदान का एहसास नहीं है। इसीलिए वे ‘प्रकाश दिवस’ और ‘देशप्रेम दिवस’ के बीच के अंतर को नहीं समझ सकते हैं।

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