पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) व राज्यपाल जगदीप धनखड़ की तनातनी के बीच टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से पश्चिम बंगाल के राज्यपाल धनखड़ को राज्य से हटाने की मांग की। सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि जब उन्होंने राष्ट्रपति कोविंद से राज्यपाल को हटाने का आग्रह किया, तब उनके पास उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू भी मौजूद थे। सोमवार से संसद का बजट सत्र शुरू हुआ है। इसकी संयुक्त बैठक में अभिभाषण के लिए राष्ट्रपति कोविंद संसद भवन पहुंचे थे। इसी दौरान सुदीप बंदोपाध्याय ने उनसे मुलाकात की।
राष्ट्रपति कोविंद से किया धाखड़ को हटाने का अनुरोध
उन्होंने कहा, आज मैंने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को राज्य से हटाने का अनुरोध किया, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी मौजूद थे। दरअसल टीएमसी ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। गुरुवार को पार्टी ने फैसला किया था कि वो राज्यपाल के खिलाफ राज्यसभा में प्रस्ताव लाएगी।
बंगाल लोकतंत्र का गैस चैंबर बनता जा रहा है :धनखड़
वहीं टीएमसी के इस फैसले के बाद 30 जनवरी को यानी महात्मा गांधी की पुण्य तिथि के अवसर पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि बंगाल लोकतंत्र का गैस चैंबर बनता जा रहा है। इस राज्य में लोकतंत्र का दम घुट रहा है। यहां कानून का राज नहीं है बल्कि शासक का कानून है। यहां की राजनीति रक्त रंजित हो गई है और संविधान की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है।
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा, मैंने अपमान सहा है। आपके राज्यपाल ने खून का घूंट पिया है। क्या-क्या नहीं सुना है। राज्य की सीएम राज्य में और राज्य के बाहर एक राजनीतिक मिशन पर हैं। कानून व लोकतंत्र को नजरदांज कर दिया गया है। कोई मुझे अपनी ड्यूटी करने से नहीं रोक सकता है। हिंसा और लोकतंत्र एक साथ नहीं चल सकते।
TMC का आरोप राज्यपाल ने शासन में दखल देने की सारी हदे की पार
वहीं इस मसले पर टीएमसी के राज्यसभा सदस्य और वकील सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि जब भी शासन में दखल देने की बात आती है तो राज्यपाल धनखड़ ने सारी हदें पार कर दी हैं। वह मनमाने ढंग से नौकरशाहों को तलब करते हैं और उनके कार्यों के लिए स्पष्टीकरण की मांग भी करते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाया। हम संसद के सामने परिदृश्य पेश करेंगे।
TMC सीधे धनखड़ को हटाने की नहीं कर सकती मांग
चूंकि राज्यपाल संविधान द्वारा संरक्षित है, इसलिए टीएमसी सीधे धनखड़ को हटाने की मांग नहीं कर सकती है और इसके बजाय उनके कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। फिलहाल बजट सत्र से टीएमसी अपने इस प्रस्ताव के लिए समर्थन जुटाने के लिए भाजपा का विरोध करने वाली अन्य विपक्षी पार्टियों से भी बातचीत कर सकती है। बंगाल सरकार और राज्यपाल के कटु संबंध हाल के महीनों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं।
भारत के इतिहास में नहीं उठाया गया यह कदम
हालांकि संवैधानिक विशेषज्ञों ने कहना है कि भारत में किसी भी पार्टी ने हाल के इतिहास में ऐसा नहीं किया है और यह प्रयास व्यर्थ हो सकता है। गौरतलब है कि टीएमसी के नेता सार्वजनिक मंचों पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ को बीजेपी का एजेंट बताते रहे हैं। यहां तक कि राजभवन को भगवा कैंप का कार्यालय भी बताते रहे हैं। 30 जुलाई 2019 को जगदीप धनखड़ ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के तौर पर शपथ ली थी। लेकिन इसके कुछ महीने बाद से ही राज्यपाल और ममता सरकार से उनके मतभेद सामने आने लगे थे। दोनों ही तरफ से कई पत्र भी मीडिया भी सामने आये हैं।