देश में लगातार ईंधन के दामों में वृद्धि हो रही है, जो आम लोगों के लिए मार के अलावा और एक तरह का आर्थिक बोझ ही बढ़ा रहा है। लोग कोरोना वायरस संक्रमण के मुश्किल दौर से गुजर रहे है, ऐसे में महंगाई की मार ने लोगों को अंदर तक हिला कर रख दिया है। विपक्षी दल केंद्र की मोदी सरकार पर लगातार हमलावर बना हुआ है और लगभग रोजाना सरकार पर निशाना साध रहा है, लेकिन सरकार पर कोई जूं तक नहीं रेंग रही है।
तो वहीं, तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने कोविड-19 महामारी के बीच ईंधन के दाम बढ़ने से आम लोगों को हो रही परेशानियों के खिलाफ शनिवार को पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन किया। पश्चिम बंगाल में पेट्रोल का दाम 101 रुपये प्रति लीटर और डीजल का दाम 92 रुपये से अधिक है जबकि एलपीजी सिलेंडर की कीमत 861 रुपये पर पहुंच गयी है। कोलकाता के दमदम, सेंट्रल एवेन्यू और चेतला इलाकों, दक्षिण 24 परगना के कैनिंग, हुगली के चिनसुरा और मालदा में प्रदर्शन किए गए।
राज्य के परिवहन मंत्री फरहाद हकीम ने कहा कि केंद्र ने पेट्रोलियम उत्पादों पर भारी कर लगाए हैं जिससे आम जनता को काफी दिक्कतें हो रही हैं। पेट्रोलियम उत्पादों के दाम अनियंत्रित हो गए हैं, जिससे तेल कंपनियों को अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए कीमतें बढ़ाने का मौका मिल गया है, ताकि उनके शेयरों के दाम भी बढ़ें। इससे केंद्र को सरकारी तेल कंपनियों को विदेशी निवेशकों को बेचने में मदद मिलेगी।
केंद्र पर निशाना साधते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी लोगों पर बोझ कम करने के लिए पेट्रोलियम उत्पादों के दामों को कम लाने के वास्ते करों को वापस लेने की मांग कर रही है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार को पेट्रोलियम उत्पादों पर कर कम करने पर विचार करना चाहिए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भारी बहुमत से सत्ता में आयी हैं और उन्हें इसकी समीक्षा करनी चाहिए।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि सड़कों पर उतरने से पेट्रोलियम उत्पादों के दाम कम होने में मदद नहीं मिलेगी। उन्होंने दावा किया, ‘‘पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार से जुड़ी हैं। जब अंतरराष्ट्रीय बाजार स्थिर होगा तो देश में कीमतें भी कम हो जाएंगी।’’