भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी पी. वरवर राव की चिकित्सा आधार पर नियमित जमानत दिए जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को नोटिस जारी कर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। न्यायमूर्ति यू.यू. ललित, न्यायमूर्ति एस.आर. भट और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एक पीठ ने एनआईए को नोटिस जारी किया और कहा कि मामले पर 10 अगस्त को सुनवाई की जाएगी।
कोर्ट ने कहा कि राव को दी गई अंतरिम सुरक्षा जारी रहेगी। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को, राव को दी गई अंतरिम सुरक्षा अगले आदेश तक बढ़ा दी थी। राव ने चिकित्सा के आधार पर स्थायी जमानत संबंधी उनकी अपील को बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए यह याचिका दाखिल की है। राव (83) चिकित्सा आधार पर जमानत पर हैं और उन्हें 12 जुलाई को आत्मसमर्पण करना था। राव (83) चिकित्सा आधार पर जमानत पर हैं और उन्हें 12 जुलाई को आत्मसमर्पण करना था।
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस. वी. राजू से पूछा कि क्या वह मामले में कुछ पेश करना चाहते हैं, तो कोर्ट उसके लिए समय दे सकती है। पीठ ने कहा, ‘‘ हमने औपचारिक तौर पर नोटिस जारी नहीं किया है। अगर आप सहमत होते हैं, तो हम अंतिम सुनवाई करेंगे और अगर आप कुछ भी कोर्ट में पेश करना चाहते हैं तो हम उसके लिए समय देंगे।’’
पीठ ने कहा ऐसे मामले में जहां केवल चिकित्सकीय आधार पर बात हो रही है, उसमें लंबी सुनवाई की जरूरत नहीं है। इसके बाद, एएसजी ने कहा कि वह मामले में कुछ पेश करना चाहते हैं, जिसके लिए उन्हें समय चाहिए। उन्होंने कहा कि राव सुरक्षित हैं और जमानत पर हैं। पीठ ने कहा, ‘‘मामले से जुड़े विवाद को देखते हुए, पक्षकारों के वकील से कहा जाता है कि मामले का निपटारा अगली सुनवाई में किया जाए।’’
पीठ ने कहा, ‘‘चूंकि हमने अभी तक कोई औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया है, इसलिए नोटिस जारी किया जाता है, जिसका जवाब 10 अगस्त तक दिया जाए।’’ पीठ के अनुसार, मामले में अगर कोई दस्तावेज या सामग्री रिकॉर्ड पर रखी जानी है तो उसे दो अगस्त के पहले रख दिया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि यह मामला 31 दिसंबर 2017 में पुणे में आयोजित एल्गार परिषद के कार्यक्रम में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है। पुणे पुलिस का दावा है कि इस भाषण की वजह से अगले दिन कोरेगांव-भीमा में हिंसा फैली और इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाले लोगों के माओवादियों से संबंध हैं। मामले की जांच बाद में एनआईए को सौंप दी गई थी।