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नगर निकाय स्तर के नेता से सीएम की कुर्सी तक ऐसे पहुंचे भूपेंद्र पटेल, समर्थकों के बीच ‘दादा’ के नाम से है मशहूर

गुजरात के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में सोमवार को शपथ लेने वाले भूपेंद्र पटेल प्रदेश की राजनीति में निगम स्तर के नेता से अपने सफर की शुरूआत कर शीर्ष स्तर तक पहुंचे हैं।

गुजरात के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में सोमवार को शपथ लेने वाले भूपेंद्र पटेल प्रदेश की राजनीति में निगम स्तर के नेता से अपने सफर की शुरूआत कर शीर्ष स्तर तक पहुंचे हैं। 
शनिवार को विजय रूपाणी के आकस्मिक इस्तीफे के बाद पाटीदार समुदाय के कुछ नेताओं का नाम उनके उत्तराधिकारी के रूप में चल रहा था, लेकिन अचानक से 59 वर्षीय भूपेंद्र पटेल का नाम सामने आया जिनकी कहीं कोई चर्चा नहीं थी। मुख्यमंत्री पद तक पटेल की इस प्रोन्नति के लिए उनकी गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश की मौजूदा राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से निकटता को भी एक वजह बताया जा रहा है। दोनों के आवास अहमदाबाद के एक ही इलाके में हैं। 
रविवार को भाजपा विधायक दल के सर्वसम्मति से नेता चुने गये पटेल ने 2017 में पहली बार राज्य की घाटलोडिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और 1.17 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की, जो उस चुनाव में एक रिकॉर्ड था। यह विधानसभा गांधीनगर लोकसभा सीट का हिस्सा है, जहां से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सांसद हैं। मृदुभाषी छवि वाले और अपने समर्थकों के बीच ‘दादा’ के नाम से पुकारे जाने वाले पटेल 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं। 
पटेल 2015 से 2017 तक अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण (एयूडीए) के अध्यक्ष रह चुके हैं। इससे पहले वह 2010 से 2015 तक गुजरात के सबसे बड़े शहरी निकाय अहमदाबाद नगर निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष रहे थे। पटेल को करीब से जानने वाले लोग उन्हें जमीन से जुड़ा नेता बताते हैं, जो लोगों से चेहरे पर मुस्कान के साथ मिलते हैं। सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा रखने वाले पटेल विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले स्थानीय राजनीति में सक्रिय थे और अहमदाबाद जिले की मेमनगर नगरपालिका के सदस्य रहे और दो बार इसके अध्यक्ष बने। 
वह पाटीदार समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास को समर्पित संगठन सरदारधाम विश्व पाटीदार केंद्र के न्यासी भी हैं। अहमदाबाद में जन्मे पटेल ने दुनिया के अनेक हिस्सों का दौरा किया है। उनकी पत्नी हेतलबेन गृहिणी हैं। पटेल के एक सहयोगी के अनुसार उन्हें आध्यात्मिक गतिविधियों में भाग लेना अच्छा लगता है और उन्हें क्रिकेट तथा बैडमिंटन पसंद हैं। वह रीयल इस्टेट के कारोबार में भी रहे हैं। एक पार्टी कार्यकर्ता ने कहा, ‘‘उनका रीयल इस्टेट का कारोबार मोटे तौर पर अहमदाबाद तक ही सीमित रहा है। राजनीति में सक्रियता की वजह से वह करीब एक दशक से निर्माण क्षेत्र में सक्रिय नहीं हैं।’’ 

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