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पूंजीपतियों के लाभ के लिए केंद्र सरकार ने बनाए तीनों कृषि कानून : भूपेश बघेल

भूपेश बघेल ने कहा कि इन कानूनों के जरिए मंडी कानून तथा आवश्यक वस्तु अधिनियम को जहां खत्म किया जा रहा है वहीं अनुबंध पर खेती का प्रावधान किया जा रहा है।

केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ विपक्ष एकजुट होकर खड़ा हुआ है। कांग्रेस लगातार इन कानूनों को पूंजीपतियों के पक्ष और किसानों के खिलाफ बता रही है। जबकि केंद्र सरकार कई बार साफ कह चुकी है कि ये तीनों कृषि कानून किसानों के हित में हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र पर पूंजीपतियों के लाभ के लिए तीनों विवादास्पद कृषि कानून बनाए जाने का आरोप लगाया है। 
मुख्यमंत्री बघेल ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में यह आरोप लगाते हुए कहा कि बगैर किसी किसान संगठन की मांग एवं विपक्षी दलों से विचार विमर्श के मोदी सरकार ने आनन फानन में इन कानूनों को संसद से पास कर लागू कर दिया।
उन्होंने कहा कि इन कानूनों के जरिए मंडी कानून तथा आवश्यक वस्तु अधिनियम को जहां खत्म किया जा रहा है वहीं अनुबंध पर खेती का प्रावधान किया जा रहा है। यह तीनों कानून देश के 62 करोड़ किसानों के हितों के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अगर मंडियों की निजीकरण करना चाहती हैं तो, इसका विरोध नही हैं पर कानून में इस बात का स्पष्ट प्रावधान किया जाय कि कोई भी समर्थन मूल्य से नीचे खरीद नही करेंगा।
उन्होंने कहा कि समर्थन मूल्य पर खरीद कांग्रेस ने सत्ता में रहते किया जिसका लाभ किसानों को निरन्तर मिलता रहा है। छत्तीसगढ़ में उनकी सरकार ने समर्थन मूल्य से भी आगे जाकर धान की खरीद कर रही है। भूपेश बघेल ने कहा कि मोदी सरकार ने जो काले कानून बनाए है, वह बिहार में पहले से ही लागू है। वहां किसानों की स्थिति सबसे बदतर है। धान का सरकारी खरीद मूल्य 1800 रूपए से अधिक है,जबकि वहां पर 700 -800 रूपए कि्वंटल धान बिक रहा है।अगर यह कानून प्रभावी हुए,तो बिहार जैसी स्थिति पूरे देश की हो जायेंगी।

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