पटना : भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य आयोजित संवाददाता सम्मेलन कहा कि विपक्ष के गठबंधन को लेकर अब व्यवस्थित बातचीत होनी चाहिए। लेकिन चुनावी तालमेल के साथ-साथ चुनाव के एजेंडे पर भी बातचीत होनी चािहए। आज बिहार में बेदखली के खिलाफ मजदूर-किसान लड़ रहे हैं। आशाकर्मियों के आंदोलन के बाद तकरीबन 2.5 लाख रसोइया हड़ताल पर हैं। आंदोलनों की ऊर्जा से विपक्ष के गठबंधन को लैस होना चाहिए और यह भाकपा-माले व लाल झंडे के बिना संभव नहीं है।
विपक्ष की सभी पार्टियों को सोचना चाहिए कि बिहार में एक ऐसा गठबंधन बने ताकि 2015 का धोखा न हो। यह तभी संभव होगा इसमें वामपंथियों की मजबूत भूमिका होगी। तालमेल को लेकर अभी कोई फॉर्मूला नहीं निकला है। गठबंधन यदि सही ढंग से बन सकता है तो बनना चाहिए। लेकिन यदि कांग्रेस बिहार में अलग चुनाव लडऩा चाहती है, तो लड़ सकती है। वामपंथ व समाजवादी धारा की ताकतें फिर एक साथ चुनाव लड़ सकती हैं।
3 फरवरी को बंगाल में वामपंथ की ऐतिहासिक रैली हुई, लाखों की तादाद में लोग ब्रिगेड मैदान में जुटे। बंगाल वामपंथ की उर्वर जमीन है। रैली ने चुनाव का एजेंडा सेट किया है। चिटफंड व शारदा घोटाले मामले में बंगाल में सीबीआई की कार्रवाई पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है। विपक्ष की सरकार के खिलाफ सीबीआई का भाजपा राजनीतिक इस्तेमाल कर रही है। सृजन, व्यापम आदि घोटालों में सीबीआई आखिर क्यों नहीं कोई कार्रवाई कर रही है? संवाददाता सम्मेलन में खेग्रामस महासचिव का. धीरेन्द्र झा, अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव का. राजाराम सिंह, विधायक दल के नेता का. महबूब आलम व का. केडी यादव उपस्थित थे।