गुजरात में वर्ष 2002 के दंगों में गैंगरेप का शिकार हुई बिलकिस बानो अभियुक्तों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी है। मानवता को शर्मसार करने वाले इस केस में बिलकिस का गैंगरेप करने के साथ-साथ उसके परिवार के सात लोगों की हत्या भी कर दी गई थी। मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ इस केस की योग्यता पर विचार करेंगे।
गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत इन 11 दोषियों को 15 अगस्त को गोधरा उप कारागार से रिहा कर दिया था। इनके नाम हैं : जसवंत नाई, गोविंद नाई, राधेश्याम शाह, केसरभाई वोहनिया, बाकाभाई वोहनिया, बिपिन चंद्र जोशी, शैलेश भट्ट, मितेश भट्ट, प्रदीप मोरढ़िया, राजूभाई सोनी और रमेश चांदना।
विपक्षी दलों के निशाने पर भाजपा सरकार
वर्ष 2008 में मुंबई की CBI कोर्ट ने इन सभी को बिलकिस बानो के साथ दुष्कर्म करने और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इन सभी दोषियों ने 15 वर्षों की सजा पूरी कर ली थी। जिसके बाद एक आरोपी ने माफी की गुहार लगाते हुए राहत की मांग की थी। अभियुक्तों की रिहाई के बाद से ही भाजपा सरकार देश के तमाम विपक्षी दलों के निशाने पर है। मुस्लिम समुदाय के अंदर भी इसके खिलाफ खाफी रोष है।