भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को शिवसेना की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार पर नौकरियों एवं शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय को अपनी बात नहीं समझा पाने का आरोप लगाया। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने मांग की कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सर्वदलीय बैठक और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाये।
उच्चतम न्यायालय ने शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी महाराष्ट्र के कानून को बुधवार को ‘‘असंवैधानिक’’ करार देते हुए उसे खारिज कर दिया। उसने कहा कि 1992 में मंडल फैसले के तहत निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा के उल्लंघन के लिए कोई असाधारण परिस्थिति नहीं है।
पाटिल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘ यह राज्य सरकार की पूरी तरह से विफलता है। वह उच्चतम न्यायालय को समझा नहीं पायी कि असाधारण परिस्थितियों, जो मराठा समुदाय के संदर्भ में राज्य में पैदा हुई, में आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को क्यों तोड़ना महत्वपूर्ण है ।’’
उन्होंने कहा कि देवेंद्र फड़णवीस के नेतृत्व वाली राज्य की पिछली राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग बनाया था, जिसने मराठा समुदाय को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक मोर्चे पर पिछड़े मानने की सिफारिश की थी। उन्होंने कहा कि तब फड़णवीस सरकार ने मराठाओं के लिए नौकरियों एवं दाखिले में आरक्षण के लिए (2018 में) कानून बनाया जिसे बाद में बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ फड़णवीस सरकार ने उच्च न्यायालय को सफलतापूर्वक समझाया कि मराठा राज्य की जनसंख्या में 32 प्रतिशत हैं और यह कैसे राज्य में असामान्य स्थिति है। ’’ पाटिल ने दावा किया शिवसेना, रांकांपा और कांग्रेस के गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी सरकार ‘‘मराठा समुदाय को पूरी तरह विफल कर दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मराठा समुदाय के युवकों को इस मुद्दे पर अपना मुंह खोलना चाहिए एवं राज्य सरकार पर दबाव बनाना चाहिए।’’