मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ दल भाजपा अगले माह 28 नवंबर को होने वाले प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतकर लगातार चौथी बार सत्ता में आने और सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिये अपने 70 से 80 मौजूदा विधायकों और कुछ मंत्रियों के टिकट काट सकती है। प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ”भाजपा प्रदेश के 70 से 80 विधायकों और कुछ मंत्रियों को इस बार टिकट नहीं देने की योजना पर गंभीरता से विचार कर रही है।”
उन्होंने कहा कि भाजपा के लगभग आधे विधायकों के खिलाफ जनता का अक्रोश देखते हुए उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में नहीं उतारने पर विचार किया जा रहा है। विधानसभा चुनावों के मद्देनजर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रदेश भर में निकाली गई जनआशीर्वाद यात्रा में कई इलाकों में जनता ने मौजूदा भाजपा विधायक की शिकायतें मुख्यमंत्री से की थीं।
मुख्यमंत्री ने जनता की इस प्रतिक्रिया से प्रदेश भाजपा के पदाधिकारियों को भी अवगत करा दिया है। इसके अलावा इस माह सार्वजनिक हुए एक सर्वे के परिणाम के अनुसार प्रदेश में कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में वापसी कर सकती है। इससे भाजपा को चुनाव से पहले अपने घर में तैयारियां, चाकचौबंद और सावधान रहने के लिये आवश्यक कर दिया है।
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भारतीय जनता युवा मोर्चे के एक प्रदेश पदाधिकारी ने कहा कि यह बात सही है कि कई विधानसभा सीटों पर जनता अपने विधायकों से नाराज है। लेकिन जनता में प्रदेश में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान के प्रति कोई नाराजगी नहीं है। वह अब भी जनता में बेहद लोकप्रिय हैं।
उन्होंने कहा, ”यदि हम पुराने चेहरों को बदलकर नये चेहरों को विधानसभा चुनाव में मौका देते हैं तो इस बार भी चुनाव जीतकर प्रदेश में सरकार बनाने का भाजपा के पास बेहतर अवसर है।” उन्होंने कहा कि यह पहला मौका नहीं है, जब प्रदेश भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन नहीं करने वाले विधायकों या मंत्रियों का टिकट काटा हो।
इससे पहले वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों में हमने 25 प्रतिशत नये चेहरों को चुनाव मैदान में उतारा था और इनमें से 75 लोगों ने विजय हासिल भी की थी। पिछली दफा विधानसभा चुनावों में भाजपा के कुल 165 सीटें, कांग्रेस ने 58, बसपा ने 4 और निर्दलीय उम्मीदवारों ने तीन सीटों पर जीत हासिल की थी। मध्यप्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं।