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BJP ने महाराष्ट्र विधानसभा के 2 दिन सत्र के फैसले के खिलाफ राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से शिकायत की

महाराष्ट्र में विपक्षी भाजपा ने बुधवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की और अगले महीने दो दिनों के लिए विधानमंडल का मानसून सत्र आयोजित करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ शिकायत की।

महाराष्ट्र में विपक्षी भाजपा ने बुधवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की और अगले महीने दो दिनों के लिए विधानमंडल का मानसून सत्र आयोजित करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ शिकायत की। विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने पत्रकारों से कहा कि भाजपा ने राज्यपाल से अगले महीने पांच जिला परिषदों के चुनाव और 33 पंचायत समितियों की सीटों के लिए उपचुनाव स्थगित करने का भी अनुरोध किया।
ये सीटें खाली हो गई हैं और स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण को समाप्त करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद सामान्य श्रेणी में परिवर्तित कर दी गई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार नियमों का उल्लंघन करके जानबूझकर राज्य विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव में देरी कर रही है।
फडणवीस ने आरोप लगाया कि महा विकास अघाड़ी सरकार ‘‘अपने को बचाने के लिए’’ कोविड-19 महामारी का चुनिंदा रूप से उपयोग कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘सत्र की अवधि को बहुत कम रखकर, सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से भाग रही है जहां उसे विपक्षी दलों के सवालों का सामना करना पड़ेगा।
साथ ही, इस सरकार ने कई स्थानीय निकायों में उपचुनाव कराने का फैसला किया है। अगर कोविड-19 की स्थिति अभी भी गंभीर है तो राजनीतिक दल उम्मीदवारों के लिए अपनी रैलियां और प्रचार कैसे कर सकते हैं। राज्य सरकार के लिए इतनी कम अवधि के लिए मानसून सत्र आयोजित करना बिल्कुल गलत है।
हमने राज्यपाल से इस पर गौर करने का अनुरोध किया।’’ फडणवीस ने साथ ही कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष का पद फरवरी से खाली है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इस पद के लिए चुनाव नहीं कराना संवैधानिक मानदंडों के खिलाफ है। राज्यपाल ने पहले ही राज्य सरकार को एक पत्र लिखकर विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कराने के लिए कहा था।
राज्य के लिए चुनाव कराना अनिवार्य है।’’ फडणवीस ने कहा कि महा विकास अघाड़ी के कई विधायक राज्य सरकार के प्रदर्शन से खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अध्यक्ष का चुनाव नहीं करना संवैधानिक तंत्र के टूटने के बराबर है, जो हमें स्वीकार्य नहीं है।
हमने राज्यपाल से इस संकट को राष्ट्रपति को इंगित करने का अनुरोध किया, क्योंकि राज्य अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि सरकार को डर है कि अगर वह अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराती है तो उसे अपने ही विधायकों से शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है और इसलिए वह चुनाव में देरी कर रही है।’’
किसानों के मुद्दे पर फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने किसानों और दूध उत्पादकों को 750 करोड़ रुपये वितरित किए थे। उन्होंने कहा, ‘‘हमने दूध खरीद दर 25 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर कर दी थी। आज दूध 15 रुपये या 16 रुपये प्रति लीटर पर खरीदा जाता है। यह किसानों के लिए विनाशकारी है।
उन्होंने महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण रद्द करने के उच्चतम न्यायालय के 4 मार्च के फैसले पर भी उद्धव ठाकरे सरकार को आड़े हाथों लिया। फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार पहले स्थानीय निकायों के चुनाव तब तक नहीं कराने पर सहमत हुई थी जब तक कि ओबीसी को आरक्षण बहाल नहीं किया जाता।
उन्होंने कहा, सरकार ने इस आशय की घोषणा भी की थी। हालांकि, निर्णय एक दिन के भीतर ही पलट दिया गया और अब खाली सीटों के लिए चुनाव होने जा रहे हैं। महाराष्ट्र के राहत और पुनर्वास मंत्री विजय वडेट्टीवार ने हाल ही में कहा था कि स्थानीय निकायों के चुनाव नहीं होंगे।
हालांकि, राज्य चुनाव आयोग ने पांच जिला परिषद और उच्चतम न्यायालय द्वारा ओबीसी आरक्षण समाप्त किये जाने के बाद पंचायत समितियों में रिक्त सीटों के लिए चुनाव कराने का मंगलवार को कार्यक्रम घोषित किया। फडणवीस ने कहा, ‘‘ओबीसी के हितों की रक्षा का दावा करने वाले राज्य सरकार के मंत्रियों को सरकार से बात करनी चाहिए और तब तक चुनाव स्थगित कर देना चाहिए जब तक कि समुदायों को राजनीतिक आरक्षण नहीं मिल जाता।’’
फडणवीस ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल और भाजपा की कोर कमेटी से चर्चा की है। उन्होंने कहा, हमने इन सीटों पर केवल ओबीसी उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का फैसला किया है।
हम इन सीटों को ओबीसी के लिए आरक्षित मानेंगे। हम हार स्वीकार करेंगे लेकिन हम इन सीटों पर अन्य जातियों के किसी भी उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा राज्य भर में 26 जून को ‘चक्का जाम’ विरोध प्रदर्शन करेगी।

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