गुजरात में विपक्षी दल कांग्रेस के समर्थन के बाद बीजेपी की वरिष्ठ विधायक नीमाबेन आचार्य का राज्य विधानसभा की अध्यक्ष बनना तय है। इसके साथ ही वह गुजरात विधानसभा पहली महिला अध्यक्ष बन जाएंगी। 27 और 28 सितंबर को दो दिवसीय गुजरात विधानसभा के मानसून सत्र में नीमाबेन आचार्य को निर्विरोध चुने जाने की संभावना है।
राजेंद्र त्रिवेदी के 16 सितंबर को इस्तीफा देने और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नए मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष का पद रिक्त हो गया है। त्रिवेदी अब बीजेपी सरकार में राजस्व और संसदीय कार्य मंत्री हैं। विधानसभा सत्र के मद्देनजर विधानसभा सचिवालय ने नए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के लिए नामांकन आमंत्रित किए थे।
शुक्रवार को त्रिवेदी ने पार्टी के मुख्य सचेतक पंकज देसाई के साथ अध्यक्ष पद के लिए आचार्य और उपाध्यक्ष पद के लिए जेठा भरवाड का नामांकन पत्र दाखिल किया। त्रिवेदी ने गांधीनगर में पत्रकारों से कहा, ‘‘विधानसभा सचिव ने नीमाबेन और जेठा भरवाड दोनों के नामांकन पत्रों की जांच की और उन्हें स्वीकार किया। विपक्ष के नेता परेश धनानी ने भी नीमाबेन के नामांकन का समर्थन किया है।’’ कांग्रेस नीमाबेन आचार्य के नामांकन का समर्थन करने के लिए तो राजी हो गयी है लेकिन पार्टी ने विधानसभा की ‘‘पूर्व परंपरा’’ का हवाला देते हुए उपाध्यक्ष पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला किया है।
धनानी ने पत्रकारों से कहा, ‘‘परंपरा के अनुसार उपाध्यक्ष का पद हमेशा विपक्ष को दिया जाता है। जब कांग्रेस सत्ता में थी तो हमने इसका पालन किया था और यह पद विपक्ष को दिया था। लेकिन बीजेपी ने गुजरात में सत्ता में आने के बाद से कभी इस परंपरा का सम्मान नहीं किया। हम अध्यक्ष पद के लिए आचार्य का समर्थन करते हैं लेकिन हमने उपाध्यक्ष पद के लिए अपने वरिष्ठ विधायक अनिल जोशियारा को खड़ा करने का फैसला किया है जो आदिवासी और एक योग्य डॉक्टर हैं।’’ अब 27 सितंबर को विधानसभा का सत्र शुरू होने पर उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा। गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के महज 65 जबकि भाजपा के 112 विधायक हैं।