बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत और शिवसेना के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते दिन बृहन्मुम्बई महानगरपालिका (बीएमसी) के अधिकारी एक्ट्रेस के ऑफिस में पहुंचे थे और चेतावनी दी थी की अवैध निर्माण पाए जाने पर ऑफिस गिराया जायेगा।
कंगना ने बृहन्मुम्बई महानगरपालिका (बीएमसी) के अधिकारियों की मौजूदगी का वीडियो सोमवार को अपने ट्विटर एकाउंट पर शेयर किया और आशंका जताई कि वे उनके कार्यालय को ध्वस्त कर सकते हैं। हालांकि, बीएमसी ने कहा कि उसके अधिकारियों का दौरा उपनगरीय इलाके बांद्रा में अवैध निर्माण पर निगरानी रखने की उनकी नियमित प्रक्रिया का हिस्सा था, जहां अभिनेत्री का ऑफिस है।
निगम उपायुक्त पराग मसूरकर ने अधिकारियों के एक दल द्वारा रनौत के कार्यालय का दौरा किए जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि उनके रिकॉर्ड के अनुसार रनौत का कार्यालय एक रिहायशी संपत्ति थी और वे यह पुष्टि करने गए थे कि वहां के ढांचे में कोई बदलाव तो नहीं किया गया है।
कंगना ने कहा कि उन्होंने अपनेऑफिस में कुछ भी अवैध नहीं किया है और बीएमसी को नोटिस के साथ अवैध निर्माण दिखाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने जबरन मेरे ऑफिस की माप ली है और वे मेरे पड़ोसियों को धमका भी रहे थे। मुझे बताया गया है कि वे मेरी संपत्ति को कल ध्वस्त कर रहे हैं।’’
Because of the criticism that @mybmc received from my friends on social media, they didn’t come with a bulldozer today instead stuck a notice to stop leakage work that is going on in the office, friends I may have risked a lot but I find immense love and support from you all 🙏 pic.twitter.com/2yr7OkWDAb
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) September 8, 2020
आज यानी मंगलवार को कंगना ने एक और ट्वीट करके जानकारी दी है कि उन्हें जानकारी मिली है कि बीएमसी उनके ऑफिस पर कोई बुलडोजर लेकर नहीं आये पर उन्होंने उनके ऑफिस के बाहर निर्माण न करने का नोटिस लगा दिया है। नोटिस की वजह से कंगना के ऑफिस में जारी लीकेज का काम फिलहाल रुक गया है।
वहीं, बीएमसी की मानें तो कंगना रनौत का ऑफिस अवैध तरीके से बनाया गया है. कंगना के ऑफिस पर बीएमसी ने नोटिस चिपका दिया है। बीएमसी के सूत्रों के अनुसार, दल कुछ ही दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा जिसके बाद आगे की कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा। हाल ही में रनौत द्वारा मुम्बई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से की थी जिसका सत्तारूढ़ दल शिवसेना ने विरोध किया था।