बंबई हाई कोर्ट ने सोमवार को मराठा समुदाय को आरक्षण देने वाले नये कानून के तहत नौकरी भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करने पर महाराष्ट्र सरकार को आड़े हाथ लिया क्योंकि इस आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाएं फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन हैं। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की ‘‘गैरजरूरी स्थितियों’’ से बचा जाना चाहिए और सरकार को अदालतों को याचिकाएं सुनने के लिए थोड़ा समय देना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटिल और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि उसे इन पदों को भरने की इतनी जल्दी क्यों है जबकि वह जानती है कि मराठा आरक्षण के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई होनी है। पीठ मराठा आरक्षण के मुद्दे से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
कुछ याचिकाओं में सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले को चुनौती दी गई है जबकि अन्य याचिकाओं में सरकार के फैसले का समर्थन किया गया है। कानून को चुनौती देने वाली एक याचिका के संबंध में कोर्ट में पेश अधिवक्ता गुणरतन सदावरते ने अदालत को महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग द्वारा नौकरियों के लिए आवेदन मंगाने के लिए जारी विज्ञापन दिखाया।
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सदावरते ने कोर्ट से कहा, ‘‘आवेदन मराठा समुदाय के लिए नई सामाजिक एवं शैक्षिणक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) के तहत भी आमंत्रित किये गये हैं।’’ सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता वी के थोराट ने कहा कि केवल आवेदन मंगाए गए हैं और नौकरी के लिए अंतिम परीक्षा जुलाई 2019 में होगी। उन्होंने कहा, ‘‘पद भरने की पूरी प्रक्रिया में छह महीने से अधिक समय लगेगा।’’ हालांकि कोर्ट ने पूछा कि सरकार को विज्ञापन जारी करने की इतनी जल्दी क्यों थी।
मुख्य न्यायाधीश पाटिल ने कहा, ‘‘सरकार को पता था कि कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुनवाई होनी है। आप (सरकार) विज्ञापन जारी करने से पहले कुछ और दिन का इंतजार कर सकते थे।’’ उन्होंने कहा कि सरकार ने ऐसा करके तकनीकी रूप से कुछ गलत नहीं किया लेकिन इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए सरकार को इंतजार करना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि हम नहीं चाहते कि आवेदन भेजने वाले युवा लगातार इंतजार करते रहें। इन मामलों में संतुलित रुख अपनाया जाना चाहिए।
पीठ ने थोराट से सरकार से इस संबंध में निर्देश प्राप्त करने को कहा कि क्या राज्य सरकार याचिकाओं के लंबित रहते हुए आरक्षण के तहत लोगों को भर्ती करेगी। कोर्ट ने इन याचिकाओं पर आगे की सुनवाई के लिए 19 दिसंबर की तारीख तय की। याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित होने के बाद, एक व्यक्ति ने कोर्ट परिसर के बाहर सदावरते पर हमला कर दिया और अपशब्द कहे। यह व्यक्ति आरक्षण के समर्थन में ‘एक मराठा लाख मराठा’ नारे लगा रहा था। पुलिस इस व्यक्ति को पकड़कर बाहर ले गई।
उधर, सदावरते ने पीठ के पास वापस लौटकर उसे घटना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने पीठ से कहा कि पिछले एक सप्ताह में उन्हें धमकी भरे कई कॉल आए हैं और उनका तथा उनके परिवार का दो अज्ञात लोगों द्वारा पीछा किया जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश पाटिल ने राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भकोणी को इस मामले पर गौर करने और अगर जरूरी हो तो वकील को पुलिस सुरक्षा प्रदान करने को कहा।