बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को यस बैंक घोटाला मामले में डीएचएफएल के प्रर्वतक धीरज वधावन और कपिल वधावन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने मंगलवार को दोनों मामले में सुनवाई करते हुए याचिका खारिज कर दी।
वधावन के वकील अमित देसाई ने पिछले हफ्ते तर्क दिया था कि उनके मुवक्किल के खिलाफ धनशोधन का कोई मामला नहीं बनता क्योंकि कथित लेनदेन सामान्य कारोबार के तहत किया गया था। उन्होंने यह भी दलील दी थी कि कोविड-19 महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के बीच इस चरण में गिरफ्तार करने या गिरफ्तारी वारंट जारी करने का कोई मामला नहीं बनता है क्योंकि यह मामला वित्तीय है और पिछले छह महीने से मामले की जांच की जा रही है।
कोरोना संकट : महाराष्ट्र की जेलों से अस्थायी रूप से 50 प्रतिशत कैदी होंगे रिहा
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकील अनिल सिंह और हितेन वेनेगावकर ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि भविष्य निधि की करीब 4,200 करोड़ रुपये की राशि यूपीपीसीएल के कुछ अधिकारियों की मिलिभगत से दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) में सावधि जमा के तौर पर जमा कराई गई।
उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने यस बैंक घोटाले के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पिछले हफ्ते धीरज वधावन और कपिल वधावन को गिरफ्तार किया था। सीबीआई की ओर से दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक घोटाले की शुरुआत जून 2018 में तब हुई जब यस बैंक ने घोटाले का सामना कर रही डीएचएफएल में अल्कालिक ऋणपत्र के रूप में 3,700 करोड़ रुपये का निवेश किया।
इसके बदले में वधावन बंधुओं ने कथित तौर पर यस बैंक के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी और उनके परिवार के सदस्यों डूआईटी अर्बन वेंचर (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड को ऋण के रूप में 600 करोड़ रुपये का पुनर्भुगतान किया। इस कंपनी को कपूर की पत्नी और बेटियां चला रही थीं। सीबीआई के अलावा प्रवर्तन निदेशालय भी यस बैंक घोटाले में दोनों की भूमिका की जांच कर रहा है।