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पायल तडवी आत्महत्या मामले में जांच में देरी पर बंबई हाई कोर्ट ने जांचकर्ताओं को फटकारा

विशेष कोर्ट द्वारा 24 जून को तीनों आरोपियों की जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया था।

अपनी जूनियर डॉक्टर पायल तडवी को आत्महत्या के लिए उकसाने की आरोपी तीन महिला डॉक्टरों की जमानत याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान बंबई हाई कोर्ट ने जांच में देरी को लेकर अभियोजन पक्ष की खिंचाई की। मामले की सुनवाई कर रहीं न्यायमूर्ति साधना जाधव ने अपराध शाखा को ‘‘अपनी जिम्मेदारी ठीक तरीके से नहीं निभाने’’ के आरोप में बीवाईएल नायर अस्पताल में प्रसूति और स्त्री रोग विभाग की प्रमुख डॉ. यी चिंग लिंग के खिलाफ कार्रवाई को लेकर अनुमति मांगने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया। 
तडवी (26) मेडिकल की द्वितीय वर्ष की स्नातकोत्तर की छात्रा थी, उसने बीवाईएल नायर अस्पताल में तीन डॉक्टरों की रैगिंग और जातिसूचक टिप्पणियों से तंग आकर अपने हॉस्टल के कमरे में 22 मई को कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी। तडवी अनुसूचित जाति (एसटी) समुदाय से थीं। उनकी मां ने दावा किया कि हेमा आहूजा, अंकिता खंडेलवाल और भक्ति मेहर उनकी बेटी को, जो मानसिक प्रताड़ना दे रही थीं, उसके बारे में उसने डॉ. लिंग से शिकायत की थी। ये तीनों उनके विभाग में उसकी सीनियर थीं। 
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विशेष कोर्ट द्वारा 24 जून को तीनों आरोपियों की जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया था। मंगलवार को याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि मेडिकल का पेशा अब कोई आदर्श पेशा नहीं रह गया है। 
न्यायमूर्ति जाधव ने यह भी सुझाव दिया कि सुनवाई पूरी होने तक आरोपी डॉक्टरों का मेडिकल लाइसेंस रद्द कर देना चाहिए। कोर्ट ने बचाव पक्ष के वकील अबद पोंडा की उस दलील को भी खारिज कर दिया कि आरोपी डॉक्टरों को जमानत मिलनी चाहिए क्योंकि वे हत्या या नरसंहार के किसी मामले में आरोपी नहीं हैं। 
न्यायमूर्ति जाधव ने कहा कि हत्या या नरसंहार से इसकी तुलना ठीक नहीं है क्योंकि आरोपियों ने पीड़िता को ‘‘मानसिक आघात पहुंचाया’’ और अक्सर यह कहा जाता है कि मानसिक आघात से कहीं बेहतर शारीरिक आघात है क्योंकि मानसिक आघात कभी दिखता नहीं है जिससे वह इलाज से अछूता रह जाता है। 

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