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बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को जारी किया निर्देश, कहा- प्रवासी मजदूरों के लिए करें व्यवस्था

न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे की एकल पीठ ने कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से कामगारों और उनके परिवार के शहरों से गांव की ओर पलायन को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को यह निर्देश दिया

देश में कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से प्रवासी कामगारों की परेशानियों का संज्ञान लेते हुये बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र सरकार से कहा है कि वह इन कामगारों के लिये सभी जरूरी बंदोबस्त करे और परमार्थ संगठनों से धन जुटाने की संभावना पर भी विचार करे।
न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे की एकल पीठ ने कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से कामगारों और उनके परिवार के शहरों से गांव की ओर पलायन को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को यह निर्देश दिया। यह याचिका सी एच शर्मा नामक एक व्यक्ति ने दायर की है। अदालत ने इस मुद्दे पर विचार के दौरान कहा कि इतनी बड़ी संख्या में कामगारों के पलायन से कोरोना वायरस के और फैलने का खतरा बढ़ गया है।
अदालत ने कहा कि इन लोगों को इस समय राज्य सरकार से सहायता की आवश्यकता है। न्यायमूर्ति शुक्रे ने अपने आदेश में कहा कि आमदनी का जरिया बंद हो जाने के कारण ये कामगार बहुत ही कठिनाई के दौर से गुजर रहे हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें कपड़े, दवा और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना और उन्हें सुरक्षा का आवरण उपलब्ध कराना बुद्धिमत्तापूर्ण काम होगा।

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उन्होने कहा कि ‘‘यह अदालत, महाराष्ट्र सरकार को निर्देश देती है कि वह प्रवासी कामगारों सहित सभी श्रमिकों के रहने, खाने, साफ सफाई , कपड़ों और स्वास्थ्य सुविधाओं का बंदोबस्त करे।’’ पीठ ने कहा कि वह इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिये धन की आवश्यकता के पहलू के प्रति सचेत है और इसलिए राज्य सरकार को परमार्थ संस्थाओं से आर्थिक सहायता करनेका अनुरोध करना चाहिए।
न्यायमूर्ति शुक्रे ने कहा कि ‘‘मैं सिर्फ सुझाव दे सकता हूं कि धन का बंदोबस्त करने के लिये महाराष्ट्र पब्लिक ट्रस्ट कानून और वक्फ कानून के प्रावधानों में धर्मार्थ आयुक्त और राज्य सरकार को प्राप्त अधिकारों पर अमल किया जा सकता है।’’अदालत ने कहा कि पब्लिक ट्रस्ट कानून या वक्फ कानून के तहत पंजीकृत सभी धर्मार्थ संस्थाओं का आह्वान किया जा सकता है कि वे अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए जन और धर्मार्थ कार्यों में इस्तेमाल के ।

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