महाराष्ट्र के नेता रहे गोविंद पानसरे और कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर चर्चित हत्याकांड में बंबई उच्च न्यायालय ने दो जांच एजेंसियों से यह स्पष्ट करने को कहा कि वह बताएं कि कब तक इन दोनों हत्याकांड की जांच पूरी कर पाएगी। दरअसल, अदालत ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सीआईडी और सीबीआई से इस मामले में जवाब मांगा है। राज्य की अपराध जांच विभाग (सीआईडी) कम्युनिस्ट नेता पानसरे की हत्या की जांच कर रही है, जबकि अंध विश्वास विरोधी कार्यकर्ता के रूप में चर्चित रहे दाभोलकर की हत्या मामले की जांच की जिम्मेदारी केंद्रीय अन्वेषण अभिकरण (सीबीआई) को दी गई है।
न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिटाले की पीठ ने पूछा किया कि क्यों तर्कशास्त्री एमएम कलबुर्गी की हत्या के मामले की सुनवाई कनार्टक में पहले ही शुरू हो गई, जबकि इन दोनों मामलों की जांच अबतक अधूरी है। अदालत ने कहा, ‘‘ संवेदनशील मामलों में देश के नागरिकों को जानने का हक है कि जांच एजेंसी कब इन मामलों की जांच पूरी करेगी और कब मामले की सुनवाई शुरू होगी।’’
पीठ ने कहा, ‘‘ हम इससे बहुत परेशान हैं कि कर्नाटक में इसी तरह के मामले में सुनवाई पहले ही शुरू हो गई है, वहीं महाराष्ट्र में यह स्पष्ट नहीं है कि जांच कब पूरी होगी जबकि इन मामलों की प्रकृति एक जैसी है।’’ गौरतलब है कि दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे में हत्या कर दी गई थी, जबकि पानसरे को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 16 फरवरी 2015 को गोली मार दी गई थी जिसके चार दिन बाद उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
कन्नड विद्वान कलबुर्गी को 30 अगस्त 2015 को गोली मार दी गई थी। जांच एजेंसियों ने कहा कि ये तीनों मामलों और वर्ष 2017 में पत्रकार गौरी लंकेश की हुई हत्या के तार दक्षिण पंथी चरमपंथियों से जुड़े हुए हैं। उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी दाभोलकर एवं पानसरे के परिवार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की जिसमें अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध किया गया है।