पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने रविवार को अनुभवी कांग्रेस विधायक शमनूर शिवशंकरप्पा द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब की मांग की। कांग्रेस विधायक ने कहा था कि सिद्दारमैया के शासन में लिंगायत परेशान हैं। बोम्मई ने कहा कि शमनूर शिवशंकरप्पा का यह बयान गंभीर है कि कांग्रेस सरकार में लिंगायत अधिकारियों को कोई सुरक्षा नहीं है।
मुख्यमंत्री को स्पष्टीकरण देना चाहिए
बोम्मई ने कहा, "शमनूर एक वरिष्ठ कांग्रेस विधायक और अखिल भारतीय वीरशैव महासभा के अध्यक्ष हैं। लोग उनके बयान को गंभीरता से लेते हैं। अनुभवी कांग्रेस विधायक ने जो कहा है, उस पर मुख्यमंत्री को स्पष्टीकरण देना चाहिए। बोम्मई ने आगे कहा, "शमनूर ने कहा है कि मुख्यमंत्री के स्पष्टीकरण के बाद भी उनका बयान यथावत है। इसका मतलब है कि वह बहुत गंभीर हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रियों के बीच कोई समन्वय नहीं है और हर तरफ भ्रम की स्थिति बनी हुई है। शमनूर के आवाज उठाने के बाद लिंगायत मुख्यमंत्री विवाद एक बार फिर गरमा गया है। शमनूर ने कहा है कि उपमुख्यमंत्री पद से कुछ हासिल नहीं होगा और किसी लिंगायत उम्मीदवार को मुख्यमंत्री बनना चाहिए।
सिद्दारमैया के शासन में लिंगायत परेशान
उन्होंने आरोप लगाया था, "मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के शासन में लिंगायत परेशान हैं।" बोम्मई ने कहा कि राज्य के लोगों को निर्वाचित सरकार की मौजूदगी महसूस नहीं हो रही है। सूखा राहत अभी तक किसानों तक नहीं पहुंची है। सरकार ने चार महीने के भीतर लोगों का भरोसा खो दिया है।' कावेरी जल विवाद पर बोम्मई ने कहा कि मुख्यमंत्री कानूनी विशेषज्ञों के साथ बैठक में कुछ और कहते हैं, जबकि जनता के बीच कुछ और कहते हैं। उन्होंने कहा,बैठक के अंदर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार अपील करेगी लेकिन बाहर उन्होंने पड़ोसी राज्य को पानी रोकने से इनकार करते हुए अपील दायर करने की बात दोहराई।
क्या मुख्यमंत्री को इतनी भी जानकारी नहीं
उन्होंने कहा, "जब हमने सिद्दारमैया से सवाल किया, तो उन्होंने दावा किया कि यह अदालत की अवमानना है। सरकार बर्खास्त कर दी जाएगी और बांध पर कब्जा कर लिया जायेगा। यह बयान सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले भी दिया गया है। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री को ऐसी भावना है तो शीर्ष अदालत कर्नाटक से तमिलनाडु के लिए पानी छोड़ने को कहेगी। बोम्मई ने कहा, "क्या मुख्यमंत्री को इतनी भी जानकारी नहीं है? सरकार दोहरी नीति अपना रही है और लोग अब समझ गए हैं कि यह सरकार राज्य की जमीन और पानी नहीं बचा सकती है। "