देश में कोरोना महामारी के कम होते खतरे के बीच कोविड-19 से संक्रमित मरीजों में नई तरह की बीमारियां देखने को मिल रही है। जिसने डॉक्टरों की चिंता पैदा कर दी है। कोरोना रिकवर मरीजों में ब्लैक फंगस के बाद अब एवैस्कुलर नेक्रोसिस नाम की बीमारी के लक्षण पाए गए हैं।
इस बीमारी को बोथ डेथ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शरीर के भीतर खून का फ्लो ठीक न होने की वजह से हड्डियां गलने लगती हैं। डॉक्टरों ने आशंका जताई है कि आने वाले कुछ समय में इसके मामले और बढ़ सकते है। ब्लैक फंगस और एवैस्कुलर नेक्रोसिस के मामलों की प्रमुख वजह स्टेरॉयड्स को बताया जा रहा है।
एक रिपोर्ट के अनुसार मुंबई में एवैस्कुलर नेक्रोसिस के तीन मामले सामने आए हैं। जिनका इलाज मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में किया जा रहा है। तीनों मरीजों की उम्र 40 साल से कम है। हिंदुजा अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. संजय अग्रवाल ने कहा, इन मरीजों को फीमर बोन यानी जांघ की हड्डी में दर्द महसूस हुआ।
ये तीनी ही मरीज डॉक्टर थे जिसके कारण उन्हें लक्षण पहचानने में आसानी हुई और वे तुंरत इलाज के लिए अस्पताल पहुंच गए। डॉ संजय अग्रवाल न कहा कि 36 साल के एक मरीज में कोरोना से ठीक होने के 67 दिन बाद एवैस्कुलर नेक्रोसिस की शिकायत हुई जबकि दो अन्य मरीजों में 57 और 55 दिनों के बाद इसके लक्षण दिखें।
उन्होंने बताया कि सभी मरीजों को कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिए गए थे। एवैस्कुलर नेक्रोसिस पर डॉ.अग्रवाल का रिसर्च पेपर ‘एवैस्कुलर नेक्रोसिस ए पार्ट ऑफ लॉन्ग कोविड-19 शनिवार को प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल ‘बीएमजे केस स्टडीज’ में प्रकाशित हुआ।इसमें उन्होंने बताया कि कोविड -19 मामलों में ‘जीवन रक्षक कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का बड़े पैमाने पर उपयोग’ के कारण एवीएन मामलों में बढ़ोत्तरी होगी।