महाराष्ट्र और कर्नाटक के पुराने सीमा विवाद का मुद्दा बीते मंगलवार को विधानसभा में दोनों राज्यों के बीच उठाया गया था। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता 'जयंत पाटिल' ने कहा कि, महाराष्ट्र को पड़ोसी राज्य पर 'लगाम कसने' के लिए नदी के ऊपर बांधों की ऊंचाई बढ़ानी चाहिए। दशकों पुराना सीमा विवाद का ये मुद्दा विधान सभा के बीच गरमा गया, जिसके बाद कांग्रेस पार्टी के एक नेता ने कहा की पड़ोसी राज्य पर 'लगाम कसने' की जरुरत है। दरअसल महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच दशकों से ये विवाद चल रहा है। जो बीते मंगलवार को सदन में फिर से दोनों राज्यों के बीच उठाया गया था।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता का बयान
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बढ़ते सीमा विवाद के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता 'जयंत पाटिल' ने कहा कि महाराष्ट्र को पड़ोसी राज्य पर ‘‘लगाम कसने’’ के लिए नदी के ऊपर बांधों की ऊंचाई बढ़ानी चाहिए। पाटिल ने महाराष्ट्र विधानसभा में मंगलवार को कहा कि कर्नाटक जान-बूझकर अपने सीमावर्ती-क्षेत्रों में मराठी भाषी लोगों को परेशान कर रहा है। महाराष्ट्र के पूर्व जल संसाधन मंत्री ने कहा, 'कर्नाटक के मुख्यमंत्री की बात का जवाब हमें उन्हीं की भाषा में देना चाहिए। अगर उनमें इतनी अकड़ है, तो हम कोयना तथा वरना नदियों पर बने बांधों और सतारा तथा कोल्हापुर जिलों के सभी बांधों की ऊंचाई बढ़ाएंगे। उन्हें (कर्नाटक के नेताओं को) किसी और तरीके से क़ाबू में नहीं लाया जा सकता।'
1957 में भाषाई आधार सीमा पुनर्गठन
दोनों राज्यों के 1957 में भाषाई आधार पर पुनर्गठन के बाद से सीमा विवाद जारी है। महाराष्ट्र बेलगावी पर अपना दावा करता है, जो तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था क्योंकि इसमें मराठी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा रहता है। वह उन 800 से अधिक मराठी भाषी गांवों पर भी दावा करता है, जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं। वहीं कर्नाटक का कहना है कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम और 1967 महाजन आयोग की रिपोर्ट के तहत भाषाई आधार पर सीमांकन किया गया।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता का बयान
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बढ़ते सीमा विवाद के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता 'जयंत पाटिल' ने कहा कि महाराष्ट्र को पड़ोसी राज्य पर ‘‘लगाम कसने’’ के लिए नदी के ऊपर बांधों की ऊंचाई बढ़ानी चाहिए। पाटिल ने महाराष्ट्र विधानसभा में मंगलवार को कहा कि कर्नाटक जान-बूझकर अपने सीमावर्ती-क्षेत्रों में मराठी भाषी लोगों को परेशान कर रहा है। महाराष्ट्र के पूर्व जल संसाधन मंत्री ने कहा, 'कर्नाटक के मुख्यमंत्री की बात का जवाब हमें उन्हीं की भाषा में देना चाहिए। अगर उनमें इतनी अकड़ है, तो हम कोयना तथा वरना नदियों पर बने बांधों और सतारा तथा कोल्हापुर जिलों के सभी बांधों की ऊंचाई बढ़ाएंगे। उन्हें (कर्नाटक के नेताओं को) किसी और तरीके से क़ाबू में नहीं लाया जा सकता।'
1957 में भाषाई आधार सीमा पुनर्गठन
दोनों राज्यों के 1957 में भाषाई आधार पर पुनर्गठन के बाद से सीमा विवाद जारी है। महाराष्ट्र बेलगावी पर अपना दावा करता है, जो तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था क्योंकि इसमें मराठी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा रहता है। वह उन 800 से अधिक मराठी भाषी गांवों पर भी दावा करता है, जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं। वहीं कर्नाटक का कहना है कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम और 1967 महाजन आयोग की रिपोर्ट के तहत भाषाई आधार पर सीमांकन किया गया।
