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बिहार में गरीब-गुरबा के भलाई के लिए दो लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया : सुशील मोदी

कह सकता हॅू कि बिहार तेजी से विकास और समृद्धि की ओर बढ़ रहा है। हमने सतत विकास, प्रगति और जनता के लिए बेहतर जीवन की बुनियाद रख दी है।

पटना : बिहार विधानमंडल के बजट सत्र में वित्त सह उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने 10वीं बार सदन के पटल पर आज बजट पेश किया। बिहार राज्य का बजट आकार 2005 में 23,885 करोड़ रुपये था जो वर्ष 2018-19 में सात गुना से बढक़र 1,76,990 करोड़ रुपये था जिसे 2019-20 में यह नौ गुना बढक़र 2,00,501 करोड़ रुपया हो गया है। जिसे सत्ता पक्ष के सदस्यों ने मेज थपथपाकर स्वागत किया। वहीं मुख्य विपक्षी सदस्यों ने इस चुनाव बजट करार देते हुए शोर शराबा एवं हंगामा किया। वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने बिहार में वित्तीय प्रबंधन द्वारा अर्थव्यवस्था के सभी प्रमुख मानकों यथा विकास दर, राजकोषीय घाटा, ऋण प्रबंधन, राजस्व, व्यय और ब्याज व्यय के अनुपात विकासात्मक एवं गैर विकासात्मक व्यय पूंजीगति परिव्यय, प्रदेश के अनेक राज्यों से बेहतर प्रदर्शन किया है।

रेटिंग एजेंसी की केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन के आंकड़ों पर आधारित एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017-18 में 11.3 प्रतिशत के विकास दर के साथ देश के सभी राज्यों में बिहार प्रथम स्थान पर है।  श्री मोदी ने बताया कि वर्ष 2013-18 में बिहार का रोजगार का ग्रोस वैल्यू एडेड का आंकड़ा 8.2 है जो केन्द्र के 7.0 से ज्यादा और पूरे देश में बिहार गुजरात के बाद दूसरे स्थान पर है। तात्पर्य यह है कि बिहार का विकास दर रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्रों में सर्वाधिक है। बिहार किन क्षेत्रों पर किस क्रम में खर्च करता है रिपोर्ट के अनुसार बिहार शिक्षा पर सर्वाधिक खर्च करता है। उसके बाद ग्रामीण क्षेत्रों के विकास दर, तीसरे स्थान पर सडक़ एवं पुल, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण खर्च के मामले में चौथे पायदान पर है तथा स्वास्थ्य पांचवे स्थान पर है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में वर्ष 2011-12 के स्थिर मूल्य पर वर्ष 2017-18 में बिहार की प्रति व्यक्ति आय रुपये थी जो राष्ट्रीय औसत 86,668 रुपये का 32.9 प्रतिशत है।

वर्ष 2015-16 में बिहार की प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय औसत के 30.8 और वर्ष 2016-17 में 31.6 प्रतिशत था। यानि हाल के वर्षो में बिहार और रष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय का फासला लगातार घट रहा है। बिहार राज्य का बजट आकार वर्ष 2004-05 में 23,885 से बढक़र 2019-20 में नौ गुना बढक़र 200501 करोड़ रुपया हो गया है। वर्ष 209-20 में वार्षिक स्कीम का कुल बजट 1,00000.98 करोड़ रुपया है जो वर्ष 2018-19 के बजट अनुमान 91794.73 करोड़ रुपये से 8206.25 करोड़ रुपये अधिक है। वर्ष 2019-20 में स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय का बजट अनुमान 99110.01 करोड़ रुपये हैं। वर्ष 2005-06 में कुल व्यय 21.71 प्रतिशत था गैर योजना व्यय 87.29 प्र तिशत था जो 2019-2020 में बढक़र योजना व्यय बढक़र 50.57 तथा गैर योजना व्यय स्थ्ज्ञापना एवं प्रतिबंध व्यय मात्र 49.43 प्रतिशत रह गया है।

कुल पूंजीगत व्यय 45.236 करोड़ रुपया अनुमानित किया गया है जो कुल व्यय का 22.58 प्रतिशत एवं वर्ष 2018-19 के बजट केअनुमान 40250.60 करोड़ रुपये है से 5019.76 करोड़ रुपये अधिक है। उन्होंने बताया कि पूंजीगत व्यय के तहत 36592.61 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय अनुमानित कियागया है िजसमें सामान्य सेवाओं में 4646.57 करोड़ रुपये समाजिक सेवाओं में 7632.1 8 करोड़ रुपये एवं आर्थिक सेवाओं में 24313.85 करोड़ रुपये प्रस्तावित है।

वहीं ऋण आदायगी वर्ष 2019-20 में 7,235.93 करोड़ रुपये की राशि ऋण के रूप में वापसी की जानी है जिसमें 1,083.15 करोड़ रुपये की राशि केन्द्र की ऋणों की है एवं 6,152.77 करोड़ की राशि पूर्व में लिये गये आंतरित ऋणों से संबंधित है। राज्य सरकार द्वारा 1441.81 करोड़ रुपये का ऋण दिया जाना प्रस्तावित है जिसमें मुख्यत: बिहार रज्य शिक्षा वित्त निगम को बिहार स्टूडेंट के्रडिट कार्ड स्कीम हेतु 826.40 करोड़ रुपये बिजली परियोजना कंपनी को कर्ज के लिए 95.80 करोड़ रुपये, सहकारी समितियों के कर्ज के लिए 423.16 करोड़ रुपये एवं सरकारी कंपनियों के लिए 35.50 करोड़ रुपये दिये जाना है। पूर्व में दिये गये ऋणों की वापसी से राज्य सरकार को 416.37 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त होना अनुमानित है। इस प्रकार कुल शुद्ध ऋण 1,025.43 करोड़ रुपये दिये जाना प्रस्तावित है।

उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटा को नियंत्रण में रखने के लिए बिहार राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम में लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं। वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा को कुल राजस्व सकल घरेलू उत्पाद का 3 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य है। वर्ष 2019-20 में बजट प्रावधान में जो राशि प्राप्ति एवं व्यय के लिए सम्मिलित की गयी है उसके अनुसार राजकोषीय घाटा 16,101.05 करेाड़ रुपया का हो रहा है जो राज्य सकल घरेलू उत्पाद का 2.81 प्रतिशत है यह निर्धारित 3 प्रतिशत की अधिसीमा के अन्तर्गत है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दूरदर्शितापूर्ण नेतृत्व में सर्वाधिक निर्णायक, पारदर्शी एवं न्याय के साथ विकास करने वाली सरकार दी है। हमने बिहार की छवि को सुधारा व संवारा है। मैं गर्व से कह सकता हॅू कि बिहार तेजी से विकास और समृद्धि की ओर बढ़ रहा है। हमने सतत विकास, प्रगति और जनता के लिए बेहतर जीवन की बुनियाद रख दी है।

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