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मुंबई की एक अदालत ने शिवसेना नेता अभिषेक घोसालकर की हत्या से जुड़े मामले में गिरफ्तार अमरेंद्र मिश्रा को 13 फरवरी तक चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। पुलिस ने शनिवार को उसके खिलाफ हत्या के आरोप भी जोड़े हैं। अमरेंद्र मिश्रा (44) को शस्त्र अधिनियम की धारा 29 (बी) के तहत शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद शनिवार को मिश्रा को अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट लक्ष्मीकांत पधेन के सामने पेश किया गया।
अमरेंद्र मिश्रा के वकील शंभू झा ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस ने अन्य बातों के अलावा, इस आधार पर मिश्रा की हिरासत की मांग की कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। वकील झा ने एक बयान में कहा कि पुलिस ने मामले में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) भी जोड़ी है, हालांकि यह आरोप वर्तमान मामले में लागू नहीं है। पुलिस उन्हें फंसाने की कोशिश कर रही है। मामला राजनीतिक रूप से हाई-प्रोफाइल है और एक बड़ा आरोप लगाकर उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया है।
वकील ने अदालत में यह भी कहा कि मिश्रा पुलिस जांच में सहयोग कर रहे हैं और उनकी रिमांड जरूरी नहीं है। यह एक हाई प्रोफाइल मामला है। राजनीतिक दबाव के कारण गरीब अंगरक्षक (बॉडीगार्ड) को मामले में फंसाया जा रहा है। वकील ने कहा कि घटना के वीडियो फुटेज (फेसबुक लाइव सेशन) में पूरा मामला साफ है। लेकिन पुलिस जानबूझकर उन्हें बलि का बकरा बना रही थी क्योंकि यह एक हाई-प्रोफाइल मामला है। धारा 302 लगाकर यह सुनिश्चित कर रही थी कि उन्हें जमानत न मिले। वकील झा ने कहा, अब हम उनकी पुलिस हिरासत समाप्त होने के बाद बेल के लिए आवेदन कर सकेंगे। मिश्रा तीन महीने पहले गैंगस्टर-व्यवसायी मौरिस नोरोन्हा के साथ उनके निजी अंगरक्षक के रूप में शामिल हुए थे। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया क्योंकि हत्या-सह-आत्महत्या मामले में इस्तेमाल किया गया कथित हथियार उनका था।
कथित तौर पर मौरिस नोरोन्हा ने आईसी कॉलोनी कार्यालय में फेसबुक लाइव के दौरान घोसालकर को गोली मारने के लिए मिश्रा की रिवॉल्वर ली थी। उसने घोसालकर की एक से ज्यादा गोली मारकर हत्या कर दी और बाद में खुद को भी गोली मार ली, जिसमें उसकी मौत हो गई। सात दिनों की हिरासत की मांग करते हुए पुलिस अभियोजक ने एसीएमएम की अदालत को सूचित किया कि उन्हें सत्यापित करने की जरूरत है कि भायंदर पूर्व (ठाणे) में रहने वाले मिश्रा द्वारा प्रस्तुत हथियार लाइसेंस वास्तव में असली था या नहीं।
पुलिस ने यह भी पुष्टि करने की कोशिश की कि क्या मिश्रा और मौरिस नोरोन्हा के बीच कोई वित्तीय लेनदेन था। यह संभावित कारण हो सकता है कि मिश्रा ने अपना हथियार उसे क्यों सौंप दिया, उसका वेतन विवरण और अन्य चीजें मुंबई में पंजीकृत क्यों नहीं की गईं। एसीएमएम पधेन द्वारा पुलिस हिरासत में भेजे जाने के बाद, मिश्रा को अदालत के बाहर ले जाया गया। वहां मीडिया को देखते ही उन्होंने तुरंत चिल्लाना शुरू कर दिया कि मुझे फंसाया गया है… मेरे साथ अन्याय हो रहा है… मुझे फंसाया जा रहा है। हालांकि, पुलिस टीम ने उसे काबू में किया। 8 फरवरी की घटना ने महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक और राजनीतिक आक्रोश फैलाया है।