कैग का गुजरात सरकार को सुझाव:
देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने गुजरात सरकार के वित्तीय व्यवहार में कई खामियां उजागर की हैं। कैग ने राज्य को सुझाव दिया है कि वह जरूरत के विश्वसनीय अनुमानों के आधार पर सही बजट बनाए। कैग की 31 मार्च, 2020 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए राज्य वित्त आडिट रिपोर्ट को मंगलवार को गुजरात विधानसभा में रखा गया। यह दो दिन के मानसून सत्र का आखिरी दिन भी था।
कैग ने दिया नियमावली-1983 का हवाला:
कैग ने कहा, ‘‘गुजरात के बजट नियमावली-1983 के अनुसार, कोई भी खर्च बिना बजट प्रावधान या बिना अनुपूरक मांग के अनुमान के आधार पर किसी मद में भी नहीं किया जा सकता। इन दो मामलों में 2019-20 में एक करोड़ रुपये से अधिक का खर्च (कुल 11.07 करोड़ रुपये) बिना बजट प्रावधान के किया गया।’’
कैग ने कहा कि बिना बजट प्रावधान के खर्च वित्तीय नियमनों का उल्लंघन और यह वित्तीय अनुशासन की कमी को दर्शाता है। कैग ने अपने ऑडिट में यह भी पाया कि सरकारी खातों में 14,273 ग्राम पंचायतों को कोष के प्रवाह को नहीं दर्शाया गया है। इसका मतलब है कि इन ग्राम पंचायतों के खाते अनुसूचित बैंकों (सरकारी खाते से बाहर) से बाहर हैं। सरकारी ऑडिटर ने कहा कि सरकार के पास पंचायतों के खातों में पड़े बिना इस्तेमाल के कोष का पता लगाने को कोई तंत्र नहीं है।