कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से मंगलवार को इनकार करते हुए कहा कि 2023 के स्थानीय निकाय चुनावों में सीट आरक्षण मानदंड को लेकर याचिकाकर्ता शुभेंदु अधिकारी की दलील में दम है। मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आर भारद्वाज की खंडपीठ ने कहा कि इस चरण में किसी भी तरह का दखल राज्य में पंचायत चुनाव को टाल सकता है। अदालत ने यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की ओर से दायर जनहित याचिका पर की है।
कोर्ट के समक्ष अधिकारियों ने क्या रखी दलीले
हालांकि अदालत ने माना कि विभिन्न श्रेणियों में सीटों के आरक्षण के लिए विभिन्न मानदंडों के उपयोग पर अधिकारी के दावे में दम है लेकिन पीठ ने पंचायत चुनाव में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। अधिकारी की दलील थी कि अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) तथा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए सीटों को आरक्षित करने के वास्ते एक ही मानदंड लागू किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा था कि निर्वाचन आयोग की अधिसूचना और दिशानिर्देशों के अनुसार पिछड़े वर्ग की आबादी को निर्धारित करने के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया जा रहा है जबकि 2011 की जनगणना के आधार पर एससी/एसटी आबादी की गणना की जा रही है।
कोर्ट ने यहां निर्णय चुनाव निर्वाचन पर छोड़ा
अदालत ने यह राज्य चुनाव आयोग पर छोड़ा है कि वे सीटों के आरक्षण को लेकर भारतीय जनता पार्टी के विधायक द्वारा उठाए गए बिन्दुओं पर फैसला करे। राज्य में पंचायत चुनाव इस साल के मध्य में होने की संभावना है।