हाल में संपन्न पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम सीट के नतीजे को चुनौती देने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की याचिका पर कलकाता हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को आदेश सुरक्षित रख लिया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि भाजपा नेता शुभेन्दु अधिकारी के खिलाफ उनकी चुनाव याचिका की सुनवाई के लिए नियुक्त न्यायाधीश मामले से खुद को अलग कर लें क्योंकि वह भाजपा के “सक्रिय सदस्य” रह चुके हैं।
बनर्जी 18 जून को दिए गए निर्देश के मुताबिक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए न्यायमूर्ति कौशिक चंदा की अदालत के समक्ष पेश हुईं। न्यायमूर्ति चंदा, जिनके खिलाफ मामले से अलग होने संबंधी याचिका दायर की गई है, ने मामले को सुना और अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
न्यायाधीश ने फैसला सुनाने की तारीख का जिक्र नहीं किया। बनर्जी ने हाई कोर्ट का रुख यह दावा करते हुए किया कि उन्हें संदेह है कि उन्हें न्यायाधीश के भाजपा से कथित संबंध होने के कारण उन्हें न्याय नहीं मिलेगा। उनके वकील ने इससे पहले हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को पत्र लिखकर बनर्जी की चुनाव याचिका को किसी और न्यायाधीश के पास सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था।
बनर्जी ने मामले से न्यायाधीश को हटाने संबंधी याचिका में दावा किया है कि उन्हें इस बात की जानकारी दी गई है कि न्यायमूर्ति चंदा भाजपा के “सक्रिय सदस्य” रहे हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि मामला एक निर्वाचन याचिका पर निर्णय लेने से संबंधित है जहां भाजपा प्रत्याशी के निर्वाचन को चुनौती दी गई है, इसलिए इसके राजनीतिक प्रभाव हो सकते हैं।
इसलिए, उन्होंने आग्रह किया कि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, जोकि रोस्टर के मास्टर हैं, वह मामला अन्य पीठ को सौंप दें। बनर्जी ने अपने पूर्व सहयोगी से बदलकर उनके चुनावी प्रतिद्वंद्वी बने अधिकारी पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम,1951 की धारा 123 का उल्लंघन करते हुए भ्रष्ट आचरण का आरोप लगाया है।
उन्होंने मतगणना में गड़बड़ियों का भी आरोप लगाया है। निर्वाचन आयोग द्वारा दो मई को घोषित परिणामों के मुताबिक, अधिकारी ने बनर्जी को 1956 मतों से हराया था।