कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल सरकार पर 50 लाख रुपये का लगाया जुर्माना

कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने निर्देशों का पालन न करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को सज़ा दी। उन्होंने सरकार से अगले दो सप्ताह
कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल सरकार पर 50 लाख रुपये का लगाया जुर्माना
Published on
कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने निर्देशों का पालन न करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को सज़ा दी। उन्होंने सरकार से अगले दो सप्ताह के भीतर 50 लाख रुपये का जुर्माना भरने को कहा। कोर्ट ने सरकार से कहा था कि वह कुछ दस्तावेज केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को दे, लेकिन राज्य आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने अभी तक ऐसा नहीं किया है। न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने उसके आदेश का पालन नहीं करने पर शुक्रवार को पश्चिम बंगाल सरकार पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने राज्य सरकार को अगले दो सप्ताह के भीतर कलकत्ता उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय में जुर्माना राशि जमा करने का निर्देश दिया। अदालत ने पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले में एक सहकारी समिति द्वारा धन शोधन के एक मामले की जांच संबंधी दस्‍तावेज केंद्रीय जांच ब्‍यूरो (सीबीआई) को सौंपने का निर्देश दिया था, लेकिन राज्‍य के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने अब तक आदेश पर अमल नहीं किया है
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा
अदालत ने सीआईडी को जांच से संबंधित सभी दस्तावेज और कागजात 18 सितंबर तक सीबीआई को सौंपने का भी निर्देश दिया। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर इस बार उनके आदेश को लागू नहीं किया गया तो वह राज्य के मुख्य सचिव को अदालत में बुलाएंगे। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा, "सीआईडी काफी समय से इस मामले के बारे में जांच कर रही है, लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि गड़बड़ी के पीछे कौन लोग हैं। लेकिन मुझे पता है कि ऐसा किसने किया। आप गरीबों के पैसे पर मौज कर रहे हैं। जो लोग पहले साइकिल से घूमते थे वे अब चार पहिया वाहन खरीद रहे हैं।
जिसमें आरोप लगाया गया था 
कलकत्ता उच्च न्यायालय की जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच ने इस साल 25 अगस्त को अलीपुरद्वार में नकदी-उधार देने वाली सहकारी समिति द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों पर सीबीआई जांच का आदेश दिया। यह आदेश सर्किट बेंच में कल्पना दास सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर आधारित था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सहकारी समिति ने पहले निवेशकों से बाजार से भारी मात्रा में जमा राशि एकत्र की और फिर उससे जुड़े लोगों को ऋण के रूप में पैसा वितरित किया। काफी समय बीत जाने के बाद भी ऋण नहीं लौटाने के बावजूद सहकारी समिति के अधिकारियों द्वारा ऋण वसूली के लिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई। इस मामले को पश्चिम बंगाल पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) द्वारा जांच के लिए भेजा गया था, लेकिन जांच प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं हो सकी। इसलिए याचिकाकर्ता ने मामले में केंद्रीय एजेंसी से जांच की मांग करते हुए सर्किट बेंच का दरवाजा खटखटाया।

Related Stories

No stories found.
logo
Punjab Kesari
www.punjabkesari.com