सीबीआई ने महाराष्ट्र में सतारा जिला प्रशासन को डीएचएफएल के प्रवर्तकों-कपिल और धीरज वधावन को बिना उसकी अनुमति के कोरोना वायरस के पृथक वास से मुक्त नहीं करने को कहा है क्योंकि यस बैंक के धोखाधड़ी मामले में वे गैर जमानती वारंट का सामना कर रहे हैं। अधिकारियों ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी दी ।
उन्होंने बताया कि यस बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर और अन्य आरोपियों द्वारा धन की हेराफेरी के संबंध में सीबीआई की प्राथमिकी में दोनों भाइयों के नाम आरोपी के तौर पर दर्ज है।
अधिकारियों के मुताबिक, सीबीआई ने कहा कि कपिल और धीरज सात मार्च को मामला दर्ज होने के बाद से ही फरार थे जिसके कारण एजेंसी ने विशेष अदालत से उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट हासिल किया । सीबीआई को पंचगनी में सरकारी पृथक केंद्र में उनके ठिकाने के बारे में बृहस्पतिवार को सूचना मिली थी जिसके बाद जांच एजेंसी ने सतारा के जिलाधिकारी को एक ई-मेल भेजकर सीबीआई से अनापत्ति प्रमाण पत्र के बिना उन्हें मुक्त नहीं करने को कहा है।
पुलिस ने बताया कि मौजूदा राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच निषेधाज्ञा के उल्लंघन के लिए बृहस्पतिवार को सतारा जिले के महाबलेश्वर में वधावन बंधुओं को हिरासत में लिया। महाराष्ट्र के प्रधान सचिव (विशेष) अमिताभ गुप्ता ने उन्हें यात्रा के लिए अनुमति पत्र मुहैया कराया था। पत्र सार्वजनिक होने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने गुप्ता को छुट्टी पर भेज दिया ।
अधिकारियों ने बताया कि निगम अधिकारियों को ‘दीवान फार्महाउस’ में वधावन बंधु मिले । वधावन परिवार के लोगों सहित 23 लोग फार्म हाउस में मिले । सीबीआई ने नौ मार्च को आरोपियों के परिसरों की तलाशी ली थी लेकिन दोनों नहीं मिले थे । इसके बाद एजेंसी ने समन जारी कर दोनों को जांच अधिकारी के सामने पेश होने को कहा लेकिन दोनों जांच में शामिल नहीं हुए ।
इसके बाद , 17 अप्रैल को कपिल और धीरज के खिलाफ सीबीआई के विशेष न्यायाधीश (मुंबई) ने गैर जमानती वारंट जारी किया । सीबीआई की प्राथमिकी के मुताबिक अप्रैल और जून 2018 के बीच कथित घोटाला हुआ, जब यस बैंक ने दीवान हाउसिंग फाइनेन्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) में 3,700 करोड़ रुपये का निवेश किया ।