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केंद्र और राज्य सरकार काे फटकार

उत्तराखंड में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के स्थायी कैंपस मामले में दाखिल जनहित याचिका (पीआईएल) पर नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।

नैनीताल : उत्तराखंड में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के स्थायी कैंपस मामले में दाखिल जनहित याचिका (पीआईएल) पर नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। हाई कोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकार को फटकार लगाई है और मामले में दो सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिये हैं।

हाई कोर्ट ने केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय, राज्य सरकार व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने तीनों से तीन सप्ताह में जवाब देने का कहा था, लेकिन जवाब पेश नहीं किया गया । जनहित याचिका में वहां के सुमाड़ी, नियाल गांव सहित अन्य दो गांवों द्वारा प्रार्थना पत्र देकर पक्षकार बनाने की मांग की थी।

जिसे खंडपीठ ने स्वीकार कर लिया। ग्रामीणों ने प्रार्थना पत्र में कहा है कि उन्होंने श्रीनगर में एनआईटी बनाने के लिए 120 हैक्टेयर जमीन दान में इसलिए दी है कि यहां का विकास हो, लोगों को रोजगार मिले, पलायन पर रोक लग सके। सरकार ने 2009 में वन विभाग से भूमि हस्तांतरण के लिए नौ करोड़ रुपये भी दे दिए और सरकार ने कैम्पस की चाहर दिवारी बनाने के लिए चार करोड़ रूपये भी खर्च कर दिए उसके बाद भी सरकार एनआईटी को मैदानी एरिया में बनाना चाहती है।

छात्र लंबे समय से कर रहे हैं मांग…पूर्व में आईआईटी रुड़की द्वारा भी इस भूमि का भूगर्भीय सर्वेक्षण किया गया था जिसकी अभी अंतिम रिपोर्ट नही आई है। काॅलेज के पुर्व छात्र जसवीर सिह ने नैनीताल हाईकोट में जनहित याचिका दायर कर कहा है की उनके काॅलेज को बने नौ साल हो गए है, इसके बाद भी उनको स्थाई कैम्पस नहीं मिला। जिसको लेकर छात्र काफी लंबे समय से स्थाई कैम्पस की मांग कर रहे है मगर सरकार उनकी इन माॅगो की तरफ कोई घ्यान नही दे रही है।

साथ ही वो अभी जिस जगह पढ रहे है वो बिल्डिंग भी जर्जर हालत में है। जहां कभी भी कोई हादसा हो सकता है। याचिकाकर्ता का कहना है की कैम्पस की मांग करे रही एक छात्रा की सड़क हादसे में मौत तक हो गई जबकी एक का गंभीर स्थिति में उपचार चल रहा है, जिसका खर्च राज्य सरकार और एनआईटी वहन करे। सरकार स्थायी कैम्पस की जगह छात्रो को जयपुर राजस्थान कैम्पस में भेज रही है।

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