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विरोध को कुचल रहा है केन्द्र, संशोधित नागरिकता कानून पर पुनर्विचार हो : राकांपा

राकांपा प्रवक्ता संजय तटकरे ने भी इसी तरह की राय रखी। राकंपा के प्रवक्ता संजय तटकरे ने कहा, ‘‘ यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र सरकार विरोध को कुचल रही हैं।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई के लिए केंद्र पर निशाना साधते हुए सोमवार को कहा कि विरोध के स्वरों को ‘‘कुचलना’’ दुर्भाग्यपूर्ण है और भाजपा नीत सरकार को नये कानून पर पुनर्विचार करना चाहिए। 
पार्टी ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक होने के मामले में पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में हैं। दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में पुलिस कार्रवाई और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध की आग सोमवार को पूरे देश में फैल गई और हैदराबाद, लखनऊ, मुंबई और कोलकाता सहित देशभर के शिक्षा संस्थानों में छात्रों ने प्रदर्शन किया। 
राष्ट्रीय राजधानी में हिंसा के बाद हजारों की संख्या में छात्र सड़क पर उतर आए और उन्होंने पुलिस द्वारा जामिया पुस्तकालय में कथित रूप से आंसू गैस के गोले छोड़ने और बिना अनुमति के विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश करने की मांग की। 
राकांपा के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं जिसमें कथित रूप से पुलिसकर्मी वाहनों में आग लगा रहा है। हालांकि, उन्होंने उस स्थान की जानकारी नहीं दी जहां पर वाहन जलाए गए। 
मलिक ने कहा, ‘‘ इस बात की जांच होनी चाहिए कि कैसे हिंसा फैली। शांतिपूर्ण प्रदर्शन के हिंसक होने से पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई है।’’ 
उन्होंने कहा कि भाजपा यह नहीं समझती की सरकार चलाने के लिए लोगों को भी भरोसे में लेना होता है। मलिक ने कहा, ‘‘सरकार को इस मामले पर पुनर्विचार करना चाहिए और लोगों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। वैसे भी मामला अदालत में विचाराधीन है।’’ 
राकांपा प्रवक्ता संजय तटकरे ने भी इसी तरह की राय रखी। राकंपा के प्रवक्ता संजय तटकरे ने कहा, ‘‘ यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र सरकार विरोध को कुचल रही हैं। 
प्रदर्शनकारियों को लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करने की अनुमति दी जानी चाहिए। हम मांग करते हैं कि पूरे देश में लोगों के विरोध के मद्देनजर सरकार संशोधित नागरिकता कानून पर पुनर्विचार करे।’’ उन्होंने रेखांकित किया कि असम गण परिषद भाजपा की सहयोगी है, लेकिन वह भी नए कानून का समर्थन करने के बाद विरोध कर रही है। तटकरे ने कहा, ‘‘ यह साबित हो चुका है कि इन पार्टियों पर भारी जनदबाव है जिसकी वजह से उन्होंने संशोधित नागिरकता कानून पर पुनर्विचार किया। इसलिए केंद्र सरकार को भी पुनर्विचार करना चाहिए।’’ 

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