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केंद्र ने ईंधन 'कर' बढ़ाते समय राज्यों से कभी नहीं ली सलाह, दरों में कमी की न करें उम्मीद : तमिलनाडु

केंद्र सरकार द्वारा शनिवार को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में की गई कमी के फैसले को तमिलनाडु सरकार आंशिक करार दिया है। राज्य सरकार ने कहा कि राज्यों से उनके करों में कमी करने की उम्मीद करना न तो उचित है और न ही तर्कसंगत है। तमिलनाडु के वित्त मंत्री पलानीवेल त्यागराजन ने कहा कि, केंद्र सरकार ने कर बढ़ाते समय राज्यों से कभी विचार-विमर्श नहीं किया और नवंबर 2021 में केंद्र सरकार द्वारा की गई कर कटौती के कारण राज्य पहले ही एक हजार करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि, शनिवार को कर में कटौती की घोषणा के बावजूद दर 2014 के मुकाबले अब भी अधिक हैं।
केंद्र ने कर बढ़ाते समय कभी नहीं ली राज्यों से सलाह
वित्त मंत्री त्यागराजन ने एक बयान में कहा, केंद्र ने पेट्रोल और डीजल पर करों को कई बार बढ़ाते समय, राज्यों से कभी सलाह नहीं ली। केंद्र सरकार द्वारा करों में अत्यधिक वृद्धि को कटौती के माध्यम से केवल आंशिक रूप से कम किया गया है और कर 2014 की दरों की तुलना में अब भी अधिक हैं। उन्होंने कहा, इसलिए राज्यों से करों में कटौती की उम्मीद करना न तो उचित है और न ही तर्कसंगत। त्यागराजन ने कहा कि, यह देखना सुखद है कि केंद्र ने पेट्रोल और डीजल पर 2014 से 2021 के बीच उसके द्वारा अत्यधिक बढ़ाए गए करों में कटौती को लेकर तमिलनाडु सरकार के कई बार किए गए अनुरोधों पर अंतत: गौर किया है।

पिछले सात वर्षों में पेट्रोल पर केंद्र सरकार के कर में काफी वृद्धि हुई है : त्यागराजन
त्यागराजन ने जिक्र किया कि मुख्यमंत्री एम के स्टालिन नीत द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की सरकार ने अगस्त 2021 में वैट (मूल्य संवर्धित कर) में कटौती की थी, जिससे पेट्रोल की कीमत में तीन रुपए प्रति लीटर की कमी आई थी। उन्होंने कहा कि, इससे राज्य को 1,160 करोड़ रुपए के राजस्व का वार्षिक नुकसान हुआ था, लेकिन ऐसा लोगों की भलाई के लिए किया गया था, जबकि पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार से विरासत में मिले वित्तीय दबाव के कारण सरकार पहले से जूझ रही थी। त्यागराजन ने कहा, पिछले सात वर्षों में पेट्रोल पर केंद्र सरकार के कर में काफी वृद्धि हुई है। केंद्र सरकार के राजस्व में कई गुना वृद्धि हुई है, लेकिन राज्यों के राजस्व में समान वृद्धि नहीं हुई है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ साझा किए जाने वाले मूल उत्पाद शुल्क को कम किया है, जबकि पेट्रोल और डीजल पर उपकर और अधिभार में वृद्धि की है।’
वर्ष 2021 में 1,050 करोड़ रुपए का हुआ था राजस्व नुकसान
मंत्री ने कहा कि नवंबर 2021 में केंद्र द्वारा कर में कटौती से तमिलनाडु को 1,050 करोड़ रुपए का वार्षिक राजस्व नुकसान हुआ था और ताजा कटौती से एक साल में 800 करोड़ रुपए का और नुकसान होगा, जिससे राज्यों पर वित्तीय दबाव और बढ़ेगा। गौरतलब है कि, ईंधन उत्पादों की लगातार बढ़ती कीमतों के कारण आम जनजीवन पर पड़ रहे असर को देखते हुए केंद्र सरकार ने शनिवार को पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क में क्रमशः आठ रुपये एवं छह रुपये प्रति लीटर तक की कटौती की घोषणा की थी।