पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को दावा किया कि केंद्र ने दिवंगत नोबेल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा द्वारा स्थापित संगठन मिशनरीज ऑफ चैरिटी के सभी बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘यह सुनकर स्तब्ध हूं कि क्रिसमस पर केंद्रीय मंत्रालय ने भारत में मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी के सभी बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है!
Shocked to hear that on Christmas, Union Ministry FROZE ALL BANK ACCOUNTS of Mother Teresa’s Missionaries of Charity in India!
Their 22,000 patients & employees have been left without food & medicines.
While the law is paramount, humanitarian efforts must not be compromised.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) December 27, 2021
उनके 22,000 रोगियों और कर्मचारियों को भोजन और दवाओं के बिना छोड़ दिया गया है। जबकि कानून सर्वोपरि है, मानवीय प्रयासों से समझौता नहीं किया जाना चाहिए।’ ममता के दावों का अभी तक केंद्र सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया है। ममता बनर्जी इस मुद्दे को लेकर कुछ देर बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगी।
गुजरात में मिशनरी ऑफ चैरिटी के बाल गृह पर FIR
गुजरात में ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की ओर से चलाए जा रहे एक बाल गृह के खिलाफ कथित तौर पर वहां रह रही बच्चियों के जबरन धर्मांतरण के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है। आरोप लगाया गया है कि हिंदू लड़कियों को कथित तौर पर क्रॉस पहनाकर ईसाई धर्म में परिवर्तित करने और उन्हें पाठ के लिए बाइबिल देने की कोशिश की गई।
प्राथमिकी में कहा गया है कि प्रबंधन ने धर्म परिवर्तन के प्रयास के उद्देश्य से लड़कियों के पाठ करने के लिए स्टोररूम की मेज पर एक बाइबिल रखी थी. वहीं, अधिकारी के मुताबिक, धर्मांतरण से संबंधित गुजरात धर्म स्वतंत्रता कानून की धारा तीन और चार (किसी व्यक्ति का धर्म बदलवाने, प्रलोभन देने या धोखाधड़ी के माध्यम से धर्म बदलने का प्रयास करने) के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 (ए) और 298 (धार्मिक भावनाओं को आहत करने से संबंधित) के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि कथित घटनाएं इस साल 10 फरवरी से 9 दिसंबर के बीच हुईं। मामले में आगे की जांच की जा रही है।
क्या है मिशनरीज ऑफ चैरिटी?
1950 में मदर टेरेसा ने कलकत्ता (अब कोलकाता) में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की थी। ये एक रोमन कैथोलिक स्वयंसेवी धार्मिक संगठन है, जो दुनिया के 120 से भी ज्यादा देशों में विभिन्न मानवीय कार्यों में योगदान दे रहा है। इसकी 4500 से भी ज्यादा ईसाई मिशनरियों की मंडली है। इसमें शामिल होने के लिए 9 सालों की सेवा और परीक्षण के बाद, सारे ईसाई धार्मिक मूल्यों पर खरा उतारकर इस संगठन के विभिन्न कार्यों में अपनी सेवा देने के बाद ही शामिल किया जाता है।
सदस्यों को 4 संकल्पों पर अडिग रहना होता है। पवित्रता, दरिद्रता, आज्ञाकारिता और दिल से गरीबों की सेवा में अपना जीवन व्यतीत करेंगे. मिशनरी विश्व भर में, गरीब, बीमार, शोषित और वंचित लोगों की सेवा और सहायता में अपना योगदान देते हैं। उन्हें युद्ध पीड़ितों और एड्स पीड़ितों की सेवा में भी समर्पित रहना पड़ता है।