केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने रविवार को कहा कि केंद्र को संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ नहीं जाना चाहिए और उसकी समवर्ती सूची में सूचीबद्ध विषयों पर कानून राज्यों के परामर्श से बनाया जाना चाहिए।
नीति आयोग की सातवीं संचालन परिषद की बैठक में विजयन ने कहा कि केंद्र सरकार को संविधान की राज्य सूची के मामलों में कानून बनाने से बचना चाहिए।
उन्होंने केंद्र से कहा कि वह संघवाद को ‘‘चुनौती’’ नहीं दे। उन्होंने कहा कि केरल की कर्ज सीमा को बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए क्योंकि राज्य कोविड के कारण उत्पन्न आर्थिक समस्याओं से अभी उबर नहीं पाया है।
उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर परिषद का ध्यान आकर्षित किया और कहा कि आवश्यक वस्तुओं पर कर लगाने के निर्णय की समीक्षा करने की आवश्यकता है। उन्होंने अनुरोध किया कि राज्यों को जीएसटी मुआवजा अगले पांच वर्षों के लिए जारी रखा जाए।
विजयन ने कहा कि केरल ने सत्ता के विकेंद्रीकरण की अपनी पहल के तहत स्थानीय स्वशासी निकायों को संविधान की 11वीं और 12वीं अनुसूची में उल्लेखित पंचायतों और नगर पालिकाओं से संबंधित मामले सौंपे हैं।
उन्होंने कहा कि इसलिए केंद्र को राज्यों को समेकित धन वितरित करते समय इस पहलू पर भी विचार करना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने नारियल से मूल्यवर्धित उत्पादों के विनिर्माण, ताड़ के तेल के उत्पादन के लिए नए प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना और मूंगफली उत्पादन के लिए केंद्र से तकनीकी समर्थन और आर्थिक मदद का भी अनुरोध किया।