बंबई उच्च न्यायालय ने कथित टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) घोटाले में जारी जांच का जिक्र करते हुए गुरुवार को कहा कि सभी राज्य और केन्द्रीय एजेंसियों को जांच करते समय उद्देश्यपूर्ण और तर्कसंगत रवैया अपनाना चाहिए। न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिताले की एक पीठ ने कहा कि एक मामले की जांच हमेशा के लिए नहीं चल सकती है और ‘‘जांच मशीनरी को किसी स्तर पर रुकना होगा।’’
न्यायालय ने कहा, ईडी, सीबीआई, राज्य पुलिस, सभी को उचित, निष्पक्ष मूल्यांकन के साथ कार्य करना चाहिए। पीठ ने पत्रकार अर्नब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी चैनल का संचालन करने वाली एआरजी आउटलायर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिकाओं पर अंतिम दलीलों पर सुनवाई करते यह टिप्पणी की। इन याचिकाओं में टीआरपी घोटाला मामले में कुछ राहत दिए जाने का अनुरोध किया गया है।
याचिकाकर्ताओं के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मुंदरगी ने उच्च न्यायालय को बताया कि मुंबई पुलिस आरोपी के रूप में गोस्वामी और एआरजी आउटलायर मीडिया के अन्य कर्मचारियों का नाम लिए बिना मामले में अपनी जांच को लम्बा खींच रही है, लेकिन आरोप पत्र में उन्हें केवल संदिग्ध बताया गया है। इस पर पीठ ने कहा कि राज्य को अदालत से समक्ष यह बयान देना चाहिए कि पुलिस को मामले में अपनी जांच को पूरा करने में कितना समय लगने की संभावना है।
उच्च न्यायालय सोमवार को भी मामले में दलीलों पर सुनवाई जारी रखेगा। एआरजी आउटलायर मीडिया और गोस्वामी ने पिछले साल उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर कर टीआरपी घोटाला मामले में राहत दिये जाने का अनुरोध किया था। मुंबई पुलिस ने इस साल जनवरी में इस मामले में दो हलफनामे दायर किए थे, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने रिपब्लिक टीवी या उसके कर्मचारियों को निशाना नहीं बनाया है। रिपब्लिक टीवी ने कुछ भी गलत करने से इनकार किया है।