महाराष्ट्र के लोक निर्माण मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण ने शनिवार को शिवसेना से जानना चाहा कि विनायक दामोदर सावरकर को लेकर की गई शिवसेना सांसद संजय राउत की टिप्पणी ही क्या पार्टी का आधिकारिक पक्ष है।
इससे पहले दोपहर में राउत ने संवाददाताओं से कहा, “सावरकर के विरोधियों को अंडमान सेलुलर जेल (भूतपूर्व) में दो दिन बिताने चाहिए ताकि वे समझ सकें कि अंग्रेजों ने उनके लिए किस तरह की कठिनाइयां पैदा की थीं।”
बयान के कुछ घंटों के भीतर, कांग्रेस ने इस पर पलटवार किया। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सचिन सावंत ने ट्वीट किया, “सावरकर 1911 से पहले कुछ और थे। कांग्रेस 1923 के बाद की उनकी विचारधारा के खिलाफ हैं।”
विवाद के बीच संवाददाताओं से चव्हाण ने कहा कि यह साफ करने की जरूरत है कि क्या राउत का बयान ही शिवसेना का आधिकारिक रुख है।
चव्हाण ने संवाददाताओं से कहा, “(शिवसेना नेता) आदित्य ठाकरे राउत की टिप्पणी पर पहले ही प्रतिक्रिया दे चुके हैं कि वह इस बात से अनभिज्ञ हैं कि किस क्षमता में राउत ने ये टिप्पणियां की कि जो सावरकर को भारत रत्न देने का विरोध कर रहे हैं उन्हें अंडमान जेल भेज देना चाहिए।”
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुद्दे पर कांग्रेस का पक्ष साफ है, “लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि राउत की टिप्पणी शिवसेना का पक्ष है या नहीं।”
चव्हाण ने कहा, “किसी की निजी टिप्पणी सरकार का पक्ष नहीं हो सकती। किसी की निजी टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं है।”
उन्होंने कहा कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की गठबंधन वाली महाराष्ट्र विकास आघाडी सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर काम करती है और सभी दल उस पर अडिग हैं।