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छत्तीसगढ़ के CM का PM को पत्र, कहा- लॉकडाउन में उधार की सीमा GDP के 6 प्रतिशत तक हो शिथिल

बघेल ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकने के प्रभावी कदम के रूप में 22 मार्च से छत्तीसगढ़ सहित देश में किए गए लॉकडाउन के कारण राज्य के राजस्व में हानि हुई है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर लॉकडाउन से उत्पन्न हालात के मद्देनजर इस वर्ष उधार की सीमा जीएसडीपी के छह प्रतिशत तक शिथिल करने का अनुरोध किया। उन्होंने राज्य का वित्तीय घाटा भी जीएसडीपी के पांच प्रतिशत के बराबर रखने की सहमति प्रदान करने की अपील की।

बघेल ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकने के प्रभावी कदम के रूप में 22 मार्च से छत्तीसगढ़ सहित देश में किए गए लॉकडाउन के कारण सभी आर्थिक गतिविधियां बंद है, जिससे राज्य के राजस्व में हानि हुई है। इसने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सबसे अधिक प्रभावित किया है।राज्य में समाज के इन वर्गों की जनसंख्या अधिक है।

उन्होंने पत्र में लिखा हैं कि राज्य के सभी विभागों को वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए बजट आवंटन जारी किया जा चुका है एवं मूलभूत आवश्यकताओं के लिए व्यय हेतु आर्थिक संसाधनों की आवश्यकता है। केन्द्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा राज्य को इस वित्तीय वर्ष के प्रथम नौ माह के लिए राज्य की शुद्ध उधार सीमा के 50 प्रतिशत के बराबर 5375 करोड़ रूपए के बाजार ऋण की सहमति प्रदान की गई है। जो कि इस अवधि में व्यय की पूर्ति के लिए अपर्याप्त है।

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लॉकडाउन के कारण इस वर्ष राज्य की राजस्व प्राप्तियों में कमी की आशंका है इसलिए राज्य की शुद्ध उधार सीमा तथा राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार निर्धारित वित्तीय घाटे की सीमा (राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का तीन प्रतिशत) में शिथिलीकरण आवश्यक है। बघेल ने पत्र में कहा कि राज्य गठन के समय से ही छत्तीसगढ़ वित्तीय अनुशासन का कड़ाई से पालन करने वाला राज्य रहा है तथा वर्तमान में यह सबसे कम ऋण भार (जीएसडीपी का 19.2 प्रतिशत) तथा सबसे कम ब्याज भुगतान (कुल राजस्व प्राप्तियों का 7.4 प्रतिशत) करने वाला राज्य है।
उन्होने कहा कि आपदा के समय असाधारण उपायों की आवश्यकता होती है, इस कारण राज्य को इस वर्ष उधार की सीमा जीएसडीपी के 06 प्रतिशत तक शिथिल करते हुए सहमति दी जाए। साथ ही राज्य का वित्तीय घाटा भी इस वर्ष अपवाद के रूप में जीएसडीपी का 05 प्रतिशत के बराबर रखे जाने की भी सहमति प्रदान की जाए।

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