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छत्तीसगढ़ : धोखाधड़ी के आरोप में पूर्व बैंक प्रबंधक गिरफ्तार

जाँच के दौरान 15 अन्य ग्राहकों ने बिना जानकारी के उनके खातों से धन की निकासी की बात पुलिस को बताई। पुलिस सभी शिकायतों की जाँच कर रही है।

छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के एक सरकारी बैंक के पूर्व प्रबंधक को कथित तौर पर ग्राहकों से धोखाधड़ी और वित्तीय अनियमितताओं के लिए गिरफ्तार कर लिया है। एक पुलिस अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने आरोपी के खिलाफ शिकायत का उल्लेख करते हुए कहा कि सेन्ट्रल बैंक की रामानुज नगर शाखा के प्रबंधक पद पर रहते हुए आलोक गुप्ता ने कथित धोखाधड़ी करते हुए ग्राहकों के लिए मंजूर किए गए ऋण की राशि खुद हड़पने की मंशा से दूसरे खातों में स्थानांतरित की। 
सूरजपुर के पुलिस अधीक्षक राजेश कुकरेजा ने पीटीआई-भाषा से कहा, “इस संबंध में पिछले महीने दो मुकदमे दर्ज किए जाने के बाद से गुप्ता फरार चल रहा था। उसे शनिवार को झारखण्ड राज्य के गढ़वा जिले से गिरफ्तार किया गया।” 
उन्होंने कहा कि इसके अलावा कथित तौर पर गुप्ता को भागने में सहायता करने के आरोप में दो अन्य व्यक्तियों आलोक शुक्ला और रफीक खान को भी गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले महीने बैंक के दो ग्राहकों ने गुप्ता, तत्कालीन सहायक प्रबंधक सुरेंद्र मरांडी और तत्कालीन कैशियर अभिषेक मंडल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। 
यह तीनों रामानुज नगर शाखा में कार्यरत थे। अधिकारी ने कहा कि रामानुज नगर में पान की दुकान लगाने वाले राधेश्याम सिंह द्वारा दर्ज की गयी शिकायत के अनुसार उसने साल की शुरुआत में मुद्रा ऋण योजना के तहत बैंक से पांच लाख रुपये ऋण लेने के लिए गुप्ता को अर्जी दी थी। 
इसके बाद जब भी राधेश्याम ऋण के बारे में पूछता तब गुप्ता उस समय ऋण को मंजूरी न मिलने की बात कहकर टाल देता। बाद में सितंबर में जब राधेश्याम सिंह ने अपना जनधन बचत खाता देखा तो पाया कि उसे बैंक से पांच लाख रुपए का मुद्रा ऋण मंजूर किया गया है और एक मार्च को उसके खाते में धन जमा किया गया है। 
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि सिंह के खाते में जमा सारा धन उस दिन और अगले दिन दूसरे खातों में स्थानांतरित किया गया जिसके बारे में सिंह को कोई सूचना नहीं थी। अधिकारी ने कहा कि सिंह ने उसके खाते से दूसरे खातों में गलत तरीके से धन स्थानांतरित करने के आरोप में पिछले महीने गुप्ता और मंडल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। 
इसी प्रकार एक दूसरे ग्राहक दिनेश विश्वकर्मा ने भी बैंक से 20 लाख रुपए का ऋण लिया था। उसके खाते से भी बिना जानकारी के पांच लाख रुपए दो बार अन्य खातों में स्थानांतरित करने के बाद निकाल लिए गए। 
पुलिस अधिकारी ने बताया कि मुख्य साजिशकर्ता गुप्ता ने बैंक के तत्कालीन कर्मियों के साथ मिलकर अपनी बैंक आईडी और पासवर्ड का इस्तेमाल कर खातों में अवैध रूप से धन स्थानांतरित किया। उन्होंने कहा कि मंडल को पिछले महीने गिरफ्तार किया गया था और मरांडी की खोज जारी है। जाँच के दौरान 15 अन्य ग्राहकों ने बिना जानकारी के उनके खातों से धन की निकासी की बात पुलिस को बताई। पुलिस सभी शिकायतों की जाँच कर रही है। 

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