झारखंड : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने दुमका में आयोजित दो दिवसीय बांस कारीगर मेले के समापन समारोह में सम्बोधित करते हुए कहा कि बांस मेले का मुख्य उद्देश्य यंहा के कारीगरों को नई तकनीक से वाकिफ कराना है ताकि वह अपना काम तकनीकों की सहायता से और भी बेहतर कर सकें। उन्होंने कहा कि झारखंड संभावनाओं से भरा प्रदेश है। कुटीर उद्योग, लघु और ग्राम उद्योग अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं।
सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने का कार्य कर रही है। यह रेखांकित करते हुए कि ‘‘दुनिया तेजी से तकनीक, ज्ञान और विज्ञान के साथ बढ़ रही है’’ उन्होंने कहा कि प्रदेश के बांस कारीगरों को भी पीछे नहीं रहना चाहिए और नयी तकनीकों से अवगत होकर उनका इस्तेमाल करना चाहिए। दास ने कहा कि उनकी सरकार का प्रयास है कि पूरी दुनिया में झारखंड के बांस उत्पादों की अलग पहचान बने।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि भविष्य में देश ही नहीं विदेशी बाजारों में भी झारखंड के हस्तशिल्पकारों के उत्पाद नजर आएंगे। सरकार का लक्ष्य हुनरमंद युवाओं और महिलाओं के अंदर छिपी कला को निखारना, उन्हें अत्याधुनिक तकनीक से अवगत कराना, उनसे बेहतरीन उत्पाद का निर्माण कराना और उनकी कला का सम्मान व उनका मान बढ़ाना है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे यह जानकर खुशी है कि झारखंड में बने बांस के सामान की गुणवत्ता देश में सबसे अच्छी है। झारखंड वन प्रदेश है। झारखंड के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 33 प्रतिशत वन है। यहां के युवाओं, महिलाओं को हुनरमंद बनाकर हम वनोत्पादों के माध्यम से उनकी आय और रोजगार बढ़ा सकते हैं। इसी सिलसिले में बांस कारीगर मेले का आयोजन किया गया है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग तथा उद्योग विभाग द्वारा 20 करोड़ बांस के पौधे किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे। पांच साल की विकास योजना तैयार की जा रही है। संथाल परगना में ‘अंतरराष्ट्रीय स्तरीय इंटीग्रेटेड बंबू पार्क’ की स्थापना की जाएगी ताकि अंतरराष्ट्रीय मानदंडों पर खरा उतरने वाली सामग्री का उत्पादन हो सके। कोशिश होगी कि भविष्य में हमें बांस उत्पाद में चीन और वियतनाम की बराबरी कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि एक महीने के अंदर सरकार राज्य के 10 बांस कारीगरों को वियतनाम और चीन भेजेगी। उद्योग सचिव के रविकुमार ने कहा कि छह लाख परिवार बांस उद्योग से जुड़े हुए हैं।