आंध्र प्रदेश चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने केरल के स्टेट काउंसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर को कहा है की, वह उस बच्चे को वापस लेकर आएं जिसे उसकी मां से छीनकर आंध्र प्रदेश की किसी दंपत्ति को गोद दे दिया गया था। यह आदेश बुधवार की रात को दिया गया था। इस आदेश ने केएससीसीडब्ल्यू और सीडब्ल्यूसी के शीर्ष पदाधिकारियों को हटाने की मांग को लेकर परिषद के समक्ष अनिश्चितकालीन धरने पर बैठी 22 वर्षीय अनुपमा को राहत दी है। अनुपमा ने बताया कि, पदाधिकारियों ने उसके बच्चे को दूसरे दंपत्ति को सौंपा था।
बच्चे के वापस आने के बाद किया जाएगा डीएनए परीक्षण
गुरुवार की सुबह आदेश पर खुशी व्यक्त करते हुए, अनुपमा ने कहा कि आज बाद में सीडब्ल्यूसी के समक्ष रिपोर्ट किया जाएगा। समिति ने निर्देश दिया है कि, बच्चे को आंध्र प्रदेश से वापस लाया जाए। यहां आने के बाद, एक डीएनए परीक्षण किया जाएगा। मुझे खुशी है कि चीजें इस स्तर पर आ गई हैं। जब तक दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक मेरा विरोध बंद नहीं होगा। एसएफआई कार्यकर्ता अनुपमा, राज्य की राजधानी में सबसे शीर्ष माकपा नेताओं में से एक की पोती है। उनके पति अजीत ने भी इस संबंध में राज्य पुलिस प्रमुख और बाल कल्याण समिति से संपर्क किया था। शीर्ष अधिकारियों से उनकी दलीलें अनसुनी होने के बाद दंपति को मीडिया से संपर्क करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
मीडिया ने उठाया था मुद्दा
सूत्रों के अनुसार, सीडब्ल्यूसी ने पिछले साल कथित तौर पर अनुपमा के बच्चे को आंध्र प्रदेश के एक दंपति को सौंप दिया था। इस मामले में मीडिया के प्रचार के तुरंत बाद राज्य की राजधानी में एक पारिवारिक अदालत ने गोद लेने को औपचारिक रूप देने की आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। मामले को मीडिया में आने के बाद मुख्यमंत्री ‘पिनाराई विजयन’ और ‘सीपीआई-एम’ सार्वजनिक डोमेन में गंभीर दबाव में आ गए है। जिस तरह से आरोप सामने आए है कि पार्टी और विजयन सरकार ने इस मामले में कैसे काम किया है। अगर मीडिया नहीं होता तो, अनुपमा को किसी से मदद की कोई उम्मीद नहीं थी, और ना ही वह अपने बच्चे को वापस पा पाती।