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सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए नागरिकों को बाहर नहीं निकाला जा सकता: गुजरात हाईकोर्ट

देश में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ काफी हो-हल्ला हुआ था, फिर देश में कोरोना वायरस की दस्तक ने इसको दबाने का काम किया। लेकिन इसी बीच एक मामला ऐसा भी है, जो इससे काफी हद तक प्रभावित हुआ। सीएए विरोधी प्रदर्शन के आयोजक के खिलाफ पुलिस के तड़ीपार करने के आदेश को रद्द करते हुए, गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार के खिलाफ अपनी शिकायतें उठाने के लिए नागरिकों को बाहर नहीं निकाला जा सकता। न्यायमूर्ति परेश उपाध्याय ने 39 वर्षीय कार्यकर्ता कलीम सिद्दिकी के खिलाफ अहमदाबाद पुलिस की ओर से जारी तड़ीपार करने के आदेश को बृहस्पतिवार को निरस्त कर दिया।

पिछले साल नवंबर में पारित आदेश के मुताबिक सिद्दीकी को अहमदाबाद, गांधीनगर, खेड़ा और मेहसाना जिलों में एक साल की अवधि के लिए प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया था। सिद्दीकी ने इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसने मार्च में इसपर अमल पर रोक लगा दी थी।

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दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शनों से प्रेरित होकर, सिद्दीकी और कुछ अन्य ने पिछले साल जनवरी से मार्च के बीच रखियाल इलाके में धरना प्रदर्शन का आयोजन किया था। दिसंबर 2019 में, शहर की पुलिस ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शनों के लिए अज्ञात लोगों के खिलाफ गैरकानूनी ढंग से एकत्र होने की प्राथमिकी दर्ज की थी और दावा किया था कि सिद्दीकी उस भीड़ का हिस्सा थे।

उच्च न्यायालय ने कहा कि यह उन दो प्राथमिकियों में से एक थी जो सिद्दीकी को तड़ीपार करने का आधार बनी। न्यायमूर्ति उपाध्याय ने कहा, “किसी नागरिक को सरकार के खिलाफ अपनी शिकायत उठाने के लिए तड़ीपार नहीं किया जा सकता। इन आरोपों में भी, तड़ीपार करने के आदेश को खारिज किया जाना चाहिए।”