एक स्वस्थ देश के लिए स्वस्थ राज्य आवश्यक है। ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है मध्य प्रदेश में। राज्य के मुख्यमंत्री ने प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की दुरस्ती के लिए अपने अधिकारियो के साथ बैठक की जिसमे महत्वपूर्ण बिन्दुओ पर चर्चा कर निर्देश दिए।
किसी भी हालत में स्वस्थ्य सेवा न प्रभावित
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार देर रात जिले के सभी कलेक्टरों एवं आयुक्तों को विडिओ कान्फ्रेंसिंग के जरिए अपने निवास से संबोधित करते हुए निर्देश देते हुए कहा कहा स्वास्थ्य सेवाएं जरुरी सेवाए है और किसी भी स्थिति में इन पर कोई प्रभाव नहीं होना चाहिए। बैठक के दौरान मुख्यमंत्रीअधिकारियों से स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्थाओं की जानकारी भी ली।
महत्वपूर्ण सेवाओं के सुचारू संचालन में नहीं हो कोई कसर
“स्वास्थ्य सेवाएं जरुरी सेवाओं के अंतर्गत हैं और इसमें कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। राज्य में आपातकालीन और महत्वपूर्ण सेवाओं के सुचारू संचालन के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जानी चाहिए। हड़ताल पर जाना अनैतिक है (स्वास्थ्य कर्मियों के विरोध का जिक्र करते हुए), लेकिन वहाँ कार्रवाई का प्रावधान है। मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में आवश्यक व्यवस्था करें और पीजी डॉक्टरों की सेवाएं लें।
निजी नर्सिग होम से रखे निरंतर सम्पर्क
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला अस्पताल, सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर स्वास्थ्य सेवाएं निर्बाध रूप से चलती रहें. इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाएं। कलेक्टर, कमिश्नर व मेडिकल कॉलेज के डीन समुचित इलाज सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक व्यवस्था करें. गंभीर मरीजों के इलाज में किसी भी तरह की रुकावट नहीं आनी चाहिए। चिकित्सकों की पर्याप्त व्यवस्था की जाये तथा निजी नर्सिग होम से निरंतर सम्पर्क बनाये रखा जाये।
मानव जीवन के साथ न करे खिलवाड
पर्याप्त मात्रा में एंबुलेंस की व्यवस्था रखी जाए। सीएम चौहान ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत निजी अस्पतालों में इलाज का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। उन्होंने आगे कहा, “मानव जीवन को बचाने के लिए डॉक्टरों को भगवान माना जाता है। मानव जीवन के साथ खिलवाड़ न करें और हर जगह व्यवस्था करें। किसी भी स्थिति में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित न हों। आपात स्थिति में मरीजों को कोई परेशानी न हो।”