हरिद्वार, संजय चौहान (पंजाब केसरी)ः दशनामी छड़ी को आज मुख्यमंत्री ने माया देवी मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना के बाद चारधाम और उत्तराखंड के अन्य मठ मंदिरों की यात्रा के लिए रवाना किया। छड़ी की पूजा के मौके पर जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि तथा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी समेत बड़ी संख्या में संत उपस्थित रहे।
दशनामी छड़ी यात्रा हरिद्वार से शुरू होकर यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बदरीनाथ, तुंगनाथ और अन्य उत्तराखंड के सभी तीर्थों की यात्रा करते हुए 40 दिन बाद वापस हरिद्वार पहुंचेगी। प्राचीन समय से यह छड़ी यात्रा बागेश्वर से निकाली जाती थी। दो साल पहले जूना अखाड़े के प्रमुख हरि गिरि ने मुख्यमंत्री से इस प्राचीन छड़ी यात्रा को दोबारा शुरू करने की अनुमति मांगी थी। इसके बाद प्राचीन छड़ी यात्रा को हरिद्वार लाकर स्थापित कर दी गई।
इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि छड़ी की परंपरा बहुत लंबे समय से चल रही है। छड़ी यात्रा यहां से प्रारंभ होकर पूरे उत्तराखंड का भ्रमण करेगी। पूरे उत्तराखंड में जाएगी। हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि छड़ी यात्रा के माध्यम से पूरे उत्तराखंड से पलायन रुके, उत्तराखंड से बेरोजगारी दूर हो और समस्त प्रकार की आने वाली विध्न और बाधाएं दूर हो। हमारे यहां आने वाली आपदाएं और विपदाएं समाप्त हो। उत्तराखंड खुशहाल राज्य बने। छड़ी यात्रा निश्चित रूप से इस दिशा में बहुत सकारात्मक संदेश पूरे उत्तराखंड में देगी। इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कनखल स्थित जगद्गुरु आश्रम पहुंचे, जहां उन्होंने स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज का आशीर्वाद लिया।
भारतीय संस्कृति के गौरव थे स्वामी प्रकाशानंद : शंकराचार्य
शरद पूर्णिमा के पावन पर्व पर श्री जगद् गुरु आश्रम में ब्रह्मलीन आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रकाशानंद का 117वां प्राकट्य समारोह शारदा पीठाधीश्वर जगद् गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज की अध्यक्षता में मनाया गया। इस दौरान संस्कृति, संस्कृत और श्रीराम जन्मभूमि के लिए किए गए उनके बलिदान को स्मरण किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे। उन्होंने ब्रह्मलीन स्वामी संत की समाधि स्थल पर चरण पादुका पर पुष्पांजलि अर्पित कर पूजन किया गया।
शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने कहा कि गुरुदेव स्वामी प्रकाशानंद महाराज भारत के सर्वश्रेष्ठ संतों में गिने जाते थे जिन्होंने संपूर्ण भारत वर्ष में भ्रमण कर संस्कृत और संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया। वे भारतीय संस्कृति के गौरव थे। उन्होंने कहा कि सनातनी समाज उनका हमेशा ऋणी रहेगा। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी प्रकाशानंद विराट व्यक्तत्वि के महापुरुष थे। वे संस्कृत और संस्कृति के महान संवाहक थे। स्वामी प्रकाशानंद ने संस्कृत और संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए पीठ की स्थापना की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज से आशीर्वाद भी लिया। इस मौके पर पूर्व मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद, पूर्व विधायक संजय गुप्ता, पूर्व मेयर मनोज गर्ग, जिलाध्यक्ष डॉ. जयपाल सिंह चौहान, रविंद्र भदौरिया, जगदीश गुप्ता, शिव कुमार त्यागी, नारायण शास्त्री, मोहन शर्मा, कमल जौरा, आशुतोष शर्मा, लव शर्मा, मयंक समेत अन्य मौजूद रहे।